प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। खेडकर ने विकलांगता प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए गलत पता और फर्जी राशन कार्ड का इस्तेमाल किया था। इसका खुलासा इंडिया टुडे को मिले दस्तावेजों से हुआ है।
खेडकर ने यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल (वाईसीएम) अस्पताल को ‘प्लॉट नंबर 53, देहू-आलंदी, तलवड़े’ का पता प्रस्तुत किया और दावा किया कि यह पिंपरी-चिंचवाड़ में उनका निवास है। हालांकि, यह पता चला है कि यह पता थर्मोवेरिटा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक एक बंद कंपनी का है। इसका किसी आवासीय संपत्ति से ताल्लुक नहीं है।
दस्तावेजों से यह भी पता चला कि इस कंपनी के पते का उपयोग करके एक फर्जी राशन कार्ड बनाया गया था, जिसका उपयोग खेडकर ने चलने-फिरने में अक्षमता का दावा करते हुए विकलांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए किया था।
24 अगस्त 2022 को जारी प्रमाण पत्र में कहा गया कि उनके घुटने में सात प्रतिशत विकलांगता है। इसके अलावा, इसी थर्मोवेरिटा कंपनी के नाम पर एक ऑडी कार भी रजिस्टर्ड है।
पिंपरी-चिंचवड़ नगर पालिका के कर संग्रह विभाग के अनुसार, इस कंपनी पर पिछले तीन सालों से 2.7 लाख रुपए बकाया है। वर्ष 2023 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर यूपीएससी भर्ती के लिए कथित तौर पर विकलांगता प्रमाण पत्र बनाने के आरोप में जांच के घेरे में हैं।
सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों के बाद उनकी ओबीसी नॉन-क्रीमी-लेयर स्थिति भी जांच के दायरे में आ गई है। पूजा के पिता की संपत्ति की भी होगी जांच।
दिलीप खेडकर, जिन्होंने 2020 में अपनी सेवानिवृत्ति तक महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के निदेशक के रूप में कार्य किया, उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। उच्च अधिकारियों द्वारा निष्कर्षों की समीक्षा के बाद आगे की कार्रवाई की उम्मीद है।
जाली प्रमाण पत्रों के आरोपों के साथ-साथ पूजा खेडकर पर विशेष विशेषाधिकार की मांग करने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने और पुलिस अधिकारियों को धमकाने जैसे गंभीर आरोप भी हैं। पुणे के जिला कलेक्टर सुहास दिवासे द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को उनके आचरण के बारे में रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद उन्हें पुणे से वाशिम में अतिरिक्त सहायक कलेक्टर के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया था।
केंद्र सरकार द्वारा गठित एक समिति खेडकर के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही है। इस बीच, सरकार ने मंगलवार को अधिकारी के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को रोक दिया और उन्हें ”
आवश्यक कार्रवाई” के लिए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में वापस बुलाया है। हालांकि, खेडकर ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि वह गलत सूचना और “फर्जी खबरों” का शिकार हुई हैं। उन्होंने पुणे के जिला कलेक्टर के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत भी दर्ज कराई है।