महाराष्ट्र के ओमेरगा में तीन नाबालिग लड़कियों ने मशहूर के-पॉप ग्रुप बीटीएस से मिलने के लिए एक चौंकाने वाला कदम उठाया। उनकी योजना दक्षिण कोरिया जाकर बीटीएस से मिलने की थी। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने अपहरण की झूठी कहानी गढ़ी।
सोशल मीडिया की दीवानगी
पुलिस अधीक्षक संजय जाधव के अनुसार, 13 और 11 साल की ये लड़कियां बीटीएस की बड़ी प्रशंसक थीं और उन्हें सोशल मीडिया पर फॉलो करती थीं। उन्होंने योजना बनाई कि पहले पुणे जाकर पैसे कमाएंगी और फिर दक्षिण कोरिया की यात्रा का खर्च उठाएंगी।
बस यात्रा और अपहरण का नाटक
28 दिसंबर की शाम को लड़कियां ओमेरगा से पुणे जाने वाली बस में सवार हुईं। बस में बैठने से पहले, एक लड़की ने अपने माता-पिता को फोन कर झूठा दावा किया कि उनका अपहरण हो गया है। इस फोन का मकसद था कि उनके घर देर से लौटने पर माता-पिता चिंता न करें।
पुलिस की तेज कार्रवाई
लड़कियों के माता-पिता ने तुरंत पुलिस से संपर्क किया। मोबाइल फोन ट्रैकिंग की मदद से पुलिस ने महज 30 मिनट में उनका पता लगा लिया। सोलापुर के मोहोल के पास बस को रोककर लड़कियों को सुरक्षित उतारा गया।
पूछताछ में कबूली योजना
लड़कियों ने अगले दिन पूछताछ में अपनी योजना कबूल की। उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य बीटीएस से मिलने के लिए दक्षिण कोरिया जाना था।
माता-पिता और लड़कियों को दिया गया परामर्श
पुलिस ने लड़कियों और उनके माता-पिता को सोशल मीडिया के अत्यधिक प्रभाव और उनके कार्यों के जोखिमों के बारे में परामर्श दिया। उन्हें समझाया गया कि ऐसे कदम न केवल खतरनाक हैं, बल्कि उनके जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं।
सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव
यह घटना सोशल मीडिया की बढ़ती दीवानगी और उसके खतरनाक प्रभावों को उजागर करती है। ऐसे मामलों में माता-पिता को अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखने और उनसे संवाद बनाए रखने की जरूरत है।