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4 साल बाद भारत-चीन रिश्तों की सच्चाई, पुतिन की भूमिका और नए समझौते के मायने

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14-15 जून 2020 की रात को लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के बीच भीषण टकराव हुआ। दोनों सेनाओं ने एक-दूसरे पर लोहे की छड़ों और डंडों से हमला किया, जिससे 20 भारतीय सैनिक और कम से कम 4 चीनी सैनिक मारे गए। यह घटना 45 वर्षों में पहली बार थी, जब भारत-चीन सीमा पर मौतें हुईं। इस टकराव ने दोनों देशों के रिश्तों में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया और 1962 के बाद से चीन-भारत संबंधों में तनाव फिर से गहरा हो गया।

चार साल बाद, भारत और चीन के बीच तनाव कम होने के संकेत दिख रहे हैं। हाल ही में हुए समझौतों के अनुसार, दोनों देशों ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्ती व्यवस्था बहाल करने पर सहमति जताई है। यह समझौता ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई। चीन ने लंबे समय से भारत की यथास्थिति की मांग को अस्वीकार किया था, लेकिन अब इस समझौते के बाद दोनों देशों के बीच कुछ सकारात्मक प्रगति की उम्मीद की जा रही है।

भारत-चीन के बीच हुए इस हालिया समझौते के तहत दोनों देश लद्दाख की विवादित सीमा पर गश्त व्यवस्था बहाल करेंगे, जो गलवान झड़प से पहले की स्थिति थी। इस कदम से दोनों देशों के बीच 2020 से उत्पन्न तनाव कम करने में मदद मिलेगी। यह समझौता कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य बैठकों के बाद संभव हो पाया है।

चीन ने कई वर्षों तक भारत की यथास्थिति की मांग पर सहमति नहीं दी थी, लेकिन अब इस समझौते के बाद भारत ने कूटनीतिक और सैन्य रूप से एक बड़ी जीत हासिल की है। इस समझौते से भारतीय सैनिकों को देपसांग और डेमचोक जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में गश्त फिर से शुरू करने का अवसर मिलेगा, जो दोनों देशों के बीच टकराव के मुख्य स्थल हैं।

सीमा समझौते के बाद, भारत और चीन के बीच व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों में सुधार की उम्मीद की जा रही है। कोविड-19 महामारी और गलवान झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें बंद हो गई थीं, जिन्हें अब फिर से शुरू किया जा सकता है। साथ ही, चीन के साथ व्यापारिक संबंधों में भी सुधार आने की संभावना है, क्योंकि चीन लंबे समय से भारत का प्रमुख व्यापारिक साझेदार रहा है।

यह समझौता भारत और चीन के बीच व्यापक क्षेत्रीय विवादों को सुलझाने की उम्मीद भी जगाता है। भारत और चीन 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं, जिस पर लंबे समय से विवाद बना हुआ है। हाल के घटनाक्रमों से यह संकेत मिलता है कि दोनों देश भविष्य में भी सहयोग और बातचीत के लिए तैयार हैं।

गलवान घाटी की घटना ने भारत-चीन संबंधों में एक बड़ा तनाव पैदा किया था, लेकिन चार साल बाद दोनों देशों ने फिर से संवाद स्थापित किया है। नए सीमा समझौते से दोनों देशों के बीच न केवल सैन्य तनाव कम होगा, बल्कि व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों में भी सुधार होने की संभावना है।

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