नई दिल्ली (नेशनल थॉटस) : क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से दुनियाभर में 80 करोड़ से ज्यादा लोग परेशान हैं। यह मौत की भी बड़ी वजह है। भारत जैसे देश में, जहां लो और मिडल क्लास बहुत ज्यादा है, समस्या और गंभीर है। यहां ज्यादातर लोग इस बीमारी के नतीजे नहीं झेल पाते। डायलिसिस और ट्रांसप्लांटेशन का खर्च भी उनकी कमर तोड़ देता है।
- पेशाब कम आना
- हाथ-पैरों में सूजन
- थकान महसूस होना
- सांस लेने में परेशानी
किडनी का ऐसे रखें ध्यान
आयुर्वेद के ट्रेडिशनल तरीके में नेचुरल चीजों का प्रयोग करके बीमारियां ठीक की जाती हैं। इनमें ऐसी परेशानियां भी होती हैं, जहां एलोपैथिक दवाइयां काम नहीं कर पातीं। किडनी फेल्योर को भी आयुर्वेद से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। शरीर में असंतुलन को सही करके और किडनी फंक्शन में सुधार से आयुर्वेद में किडनी डैमेज को ठीक करने की भी ताकत होती है।
अलग-अलग तरीके से काम करता है आयुर्वेद
आयुर्वेदिक इलाज हर मरीज की स्थिति के आधार पर तय होता है। इसलिए, किडनी फेल्योर के इलाज के लिए किसी एक दवा का नाम नहीं लिया जा सकता, जबकि एलोपैथिक इलाज में यही ट्रेंड होता है। मरीज की उम्र, मेडिकल हिस्ट्री, कोमोर्बिटीज, लक्षण, बीमारी की स्टेज और सेहत को देखकर ही आयुर्वेदिक इलाज तय किया जा सकता है। इसके अलावा, आयुर्वेद शरीर में असंतुलन (दोष) दूर करने का काम करता है, इसलिए भी हर मरीज के इलाज का तरीका अलग होगा। एक मरीज को जिन दवाइयों से आराम मिले, जरूरी नहीं कि वह दूसरे के लिए भी फायदेमंद हो।
बीमारी की जड़ दूर करता है आयुर्वेद
आयुर्वेदिक इलाज का सिद्धांत, केवल लक्षणों के इलाज की बजाय इसकी जड़ तक पहुंचना होता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर, इलाज शुरू करने से पहले बीमारी के मूल कारण का पता लगाते हैं। कई बार, किडनी फेल्योर किसी पुरानी वजह से होता है, जिसमें हाइपरटेंशन, डायबिटीज, दिल की बीमारियां और किसी दवा से एलर्जी आदि हो सकते हैं। आयुर्वेदिक इलाज से पहले, किडनी फेल्योर के कारण का पता लगाकर इसे दूर किया जाता है।
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