आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के बयान के बाद तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नायडू ने आरोप लगाया है कि पिछली सरकार ने मंदिर के प्रसादम में पशुओं की चर्बी का उपयोग किया था, जिससे इस पवित्र प्रसाद की पवित्रता को नुकसान पहुंचाया गया।
एन चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने तिरुपति मंदिर के प्रसादम, विशेष रूप से लड्डू बनाने में, पशुओं की चर्बी और घटिया सामग्री का उपयोग किया। नायडू के मुताबिक, सरकार ने जानबूझकर मंदिर की पवित्रता से समझौता किया है।
इस आरोप को प्रमाणित करने के लिए तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने एक लैब रिपोर्ट पेश की है, जिसमें घी के नमूने में पशुओं की चर्बी और मछली का तेल होने का दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, नौ जुलाई 2024 को नमूने लिए गए थे और रिपोर्ट 16 जुलाई को जारी की गई थी।
रिपोर्ट सामने आने के बाद, घी के टेंडर प्रक्रिया में भी सवाल खड़े हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्लैकलिस्टेड कंपनी को जानबूझकर टेंडर दिया गया और घी की गुणवत्ता की जांच नहीं की गई। टेंडर के क्लॉज 80 और 81 के मुताबिक, उपयोग में लाई गई हर खेप के लिए एमएबीएल सर्टिफिकेट और लैब जांच अनिवार्य थी, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया।
इस पूरे विवाद के बाद तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के प्रबंधन पर भी सवाल उठ रहे हैं। एन. चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि मंदिर की पवित्रता को ठेस पहुंचाते हुए घटिया माल से लड्डू तैयार किए गए और वितरित किए गए। उनका कहना है कि पिछले साल अगस्त 2023 से जुलाई 2024 तक ब्लैकलिस्टेड कंपनी द्वारा की गई मिलावट को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।
तिरुपति लड्डू विवाद में टीडीपी द्वारा लगाए गए आरोपों ने धार्मिक आस्थाओं को गहरी चोट दी है। इस मुद्दे ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के प्रबंधन और सरकार की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।