आज हम कहानी सुनाने वाले हैं उस कहावत के बारे में जिस कहावत को आपने अपने जीवन में कभी न कभी किसी न किसी के मुँह से सुना ही होगा । जी हाँ हम बात कर रहे हैं “चोर की दाढ़ी में तिनका” कहावत की । यह कहावत कैसे बनी इसके पीछे की कहानी हम आज आपको बताने जा रहे हैं ।
एक बार की बात हैं बादशाह अकबर की एक बहुत ही क़ीमती हिरे की अंगूठी खो गयी । उन्होंने उसे बहुत खोजा लेकिन अंगूठी नहीं मिली । इसके बाद अकबर ने यह बात बीरबल से कहीं और अंगूठी को ढूंढने के लिए कहा । अंगूठी को ढूढ़ने के लिए बीरबल को जानना था की अंगूठी कब और कैसे खो गयी । इसके लिए बीरबल ने अकबर से पूछा तो अकबर ने बताया, “आज सवेरे नहाते समय मैंने अंगूठी उतारकर आम के पेड़ के पास रख दी थी और जब नहाने के बाद आकर देखा तो अंगूठी वहां नहीं थी”
सभी साफ़ सफाई करने वाले कर्मचारी चुप थे । इसके बाद बीरबल पेड़ के पास जाते हैं और धीरे से फुसफुसाते हैं । सारे कर्मचारी ये देखकर थोड़ा हैरान हो जाते हैं । इसके बाद बीरबल कर्मचारियों की ओर मुस्कुराते हुवे आते हैं मानों उन्हें चोर मिल गया । बीरबल ने अकबर से कहा, “पेड़ ने मुझे चोर के बारे में बता दिया! चोर वही हैं जिसकी दाढ़ी में तिनका हैं । ” यह सुनते ही 6 में से एक कर्मचारी ने नज़रे बचाते हुवे अपनी दाढ़ी में हाथ फेरना शुरू कर दिया जैसे वो दाढ़ी में फसा तिनका निकाल रहा हो ।
उस कर्मचारी के ये करता देख बीरबल ने उसे तुरंत पकड़ लिया और सिपाहियों द्वारा सख्ती से पूछने पर उसने अंगूठी की चोरी करना कबूल कर लिया । इसके बाद उस कर्मचारी ने अकबर को अंगूठी दे दी जो की उसने अपने पास छुपाकर रखी थी । एक बार फिर अकबर ने बीरबल की बुद्धिमत्ता की तारीफ़ की