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स्पेशल स्टोरी : एक पति ने अपनी गुस्सैल पत्नी से। तंग आकर उसे कीलों से भरा एक थैला देते हुए कहा ,तुम्हें जितनी बार क्रोध आए तुम थैले से एक कील निकाल कर बाड़े में ठोंक देना ! पत्नी को अगले दिन जैसे ही क्रोध आया उसने एक कील बाड़े की दीवार पर ठोंक दी। यह प्रक्रिया वह लगातार करती रही।
अब कील ठोकने की संख्या कम होती गई :
धीरे धीरे उसकी समझ में आने लगा कि कील ठोकने की व्यर्थ मेहनत करने से अच्छा तो अपने क्रोध पर नियंत्रण करना है और क्रमशः कील ठोकने की उसकी संख्या कम होती गई। एक दिन ऐसा भी आया कि पत्नी ने दिन में एक भी कील नहीं ठोंकी।उसने खुशी खुशी यह बात अपने पति को बताई।
पति ने कहा जब भी क्रोध ना आए तो उन किलों को वापस निकालना :
वे बहुत प्रसन्न हुए और कहा, “जिस दिन तुम्हें लगे कि तुम एक बार भी क्रोधित नहीं हुई, ठोंकी हुई किलों में से एक कील निकाल लेना। पत्नी ऐसा ही करने लगी। एक दिन ऐसा भी आया कि बाड़े में एक भी कील नहीं बची। उसने खुशी खुशी यह बात अपने पति को बताई।
पति ने पूछा क्या तुम इन छेदों को भर सकती हो ?
पति उस पत्नी को बाड़े में लेकर गए और कीलों के छेद दिखाते हुए पूछा, क्या तुम ये छेद भर सकती हो? पत्नी ने कहा,नहीं जी। पति ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,अब समझी, क्रोध में तुम्हारे द्वारा कहे गए कठोर शब्द, दूसरे के दिल में ऐसे छेद कर देते हैं, जिनकी भरपाई भविष्य में तुम कभी नहीं कर सकते !
सीख : जब भी आपको क्रोध आये तो सोचिएगा कि कहीं आप भी किसी के दिल में कील ठोकने तो नहीं जा रहे ?