एक घने जंगल में एक पेड़ पर चिड़िया का एक जोड़ा घोंसला बना कर बड़े सुख से रहता था. फिर जाड़े का मौसम आया. बहुत ठंड पड़ने लगी और बारिश के साथ बर्फीली हवाएँ भी चलने लगीं लेकिन वो अपने घोंसले में आराम से रह रहे थे. एक दिन कटीली ठंडी हवा और बारिश में भीग कर ठिठुरता हुआ एक बंदर वहाँ आया और उस पेड़ की शाख़ पर आ बैठा. ठंड से उसके दाँत किटकिटा रहे थे. उसकी हालत देख कर चिड़िया बोली ” तुम कौन हो भाई? देखने में तो मनुष्य जैसे दिखते हो. यहाँ ठंड क्यों खा रहे हो अपने हाथ-पाँव से कहीं घर क्यों नहीं बना लेते.”
इस पर बंदर चिढ़ कर बोला ” तू चुप रह और अपना काम कर. मेरी मज़ाक क्यों उड़ाती है?”
चिड़िया फिर भी उसकी भलाई समझ कर कुछ-कुछ बातें कहती गई. बंदर चिड़िया की बातों से चिढ़ गया और गुस्से से उसके घोंसले को तोड़ डाला. अब चिड़िया का घरौंदा टूट गया जिसमें वह चिड़े के साथ आराम से रहती थी और वह बहुत दु:खी हो गयी.
सीख हमेशा बुद्धिमान को देनी चाहिए क्योंकि समझदार ही सीख को समझ पाते हैं. मूर्ख और दुष्ट व्यक्ति को बताई गयी अच्छी शिक्षा से कई बार स्वयं का ही नुकसान हो जाता है.