आज की कहानी ( नेशनल थोट्स ) चिंटू एक नटखट और जिज्ञासु बच्चा था। उसे स्कूल जाना बिल्कुल पसंद नहीं था, खासकर पढ़ाई करना। उसे लगता था कि पढ़ाई करना बहुत ही मुश्किल काम है। एक दिन, दुकान पर उसकी माँ को एक खूबसूरत सी पेंसिल दिखी। वह पेंसिल चमक रही थी और उसके रंग बिरंगे थे।
चिंटू की माँ ने उसे वह पेंसिल लाकर दी। घर आते ही चिंटू ने उस पेंसिल से खेलना शुरू कर दिया। उसने पेंसिल से कागज पर कुछ भी बनाना शुरू किया और आश्चर्य की बात! उसके बनाए हुए चित्र जानवरों में बदल गए। चिंटू बहुत खुश हुआ। उसने एक बिल्ली बनाई, जो म्याऊँ करने लगी। उसने एक हवाई जहाज बनाया, जो उड़ने लगा।
कुछ दिनों तक चिंटू को बहुत मजा आया। वह पेंसिल से तरह-तरह की चीजें बनाता और वे सब जीवंत हो जातीं। लेकिन धीरे-धीरे चिंटू को एहसास हुआ कि वह कुछ सीख नहीं पा रहा है। वह सिर्फ पेंसिल के भरोसे था, खुद कुछ नहीं कर पाता था।
एक दिन, चिंटू ने अपनी माँ को बताया कि वह स्कूल जाना चाहता है। उसकी माँ बहुत खुश हुई। स्कूल जाकर चिंटू ने मेहनत से पढ़ना शुरू किया। उसने लिखना सीखा, गिनना सीखा और नई चीजें सीखने लगा। अब वह खुश था क्योंकि वह खुद से कुछ कर पा रहा था।
हमें यह कहानी सिखाती है कि जादू या शॉर्टकट की जगह मेहनत और लगन से सीखने में ही असली मजा है। खुद से सीखकर हम जो हासिल करते हैं, उसकी खुशी ही कुछ और होती है।