एक बार एक कौआ,मांस के एक टुकड़े को पकड़कर बैठने और खाने के लिए उड़ रहा था। हालांकि, गिद्धों का एक झुंड उसका पीछा कर रहा था। कौवा चिंतित था और ऊँची और ऊँची उड़ान भर रहा था, फिर भी गिद्ध गरीब कौवे के पीछे थी।
तभी गरुड़ ने कौवे की आंखों में दुर्दशा और पीड़ा देखी। कौवे के करीब आकर उसने पूछा।क्या बात है? आप बहुत परेशान और तनाव में हैं? कौवा रोया इन गिद्धों को देखो ! वे मुझे मारने के लिए मेरे पीछे हैं।
गरुड़ ज्ञान का पक्षी होने के कारण बोला ओह माई फ्रेंड ! वे तुम्हें मारने के लिए तुम्हारे पीछे नहीं हैं ! वे मांस के उस टुकड़े के पीछे हैं जिसे आप अपनी चोंच में पकड़े हुए हैं”। बस इसे गिराएं और देखें कि क्या होगा।
कौवा ने गरुड़ के निर्देशों का पालन किया और मांस का टुकड़ा गिरा दिया।टुकड़ा गिराते ही सभी गिद्धों गिरते हुए मांस की ओर उड़ गए। गरुड़ ने मुस्कुराते हुए कहा दर्द केवल तब तक है जब तक आप इसे पकड़ते हैं जस्ट ड्राप ।
कौवा बस झुका और बोला मैंने मांस का यह टुकड़ा गिरा दिया, अब, मैं और भी ऊंची उड़ान भर सकता हूँ ।
शिक्षा- लोग अहंकार नामक विशाल बोझ को ढोते हैं, जो हमारे बारे में एक झूठी पहचान बनाता है, कि हम अपने लिए यह कहते हुए पैदा करते हैं कि मुझे प्यार की ज़रूरत है, मुझे आमंत्रित करने की आवश्यकता है, मैं ऐसा हूं और इसलिए ..आदि …बस गिरा दो…।