आज की कहानी : श्रापित है “कुलधरा गाँव”, जो भी गया वो वापस नहीं आया !
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राजस्थान के कूलधारा गाँव का रहस्य
नेशनल थॉट्स ( स्पेशल स्टोरी ) : भारत प्राचीन काल से ही रहस्यों का केंद्र है | यहाँ की धरती में कई राज़ दफन है जो आज भी ज्यों के त्यों बने हुए है | आज भी कुछ राज़ अनसुलझे हैं | ये रहस्य कुछ ऐसे हैं जिन्हें जितना सुलझाने की कोशिश होती है ये उतने ही उलझते जाते हैं। ऐसा ही एक राज राजस्थान के एक छोटे से गांव का है जो जैसलमेर की पश्चिम दिशा में 20 किमी के बाद कुलधरा गाँव के भीतर छुपा हैं ।
लोगों की मान्यता और प्राचीन कहानियाँ
कोई कहता है कि कुलधरा की भूमि पर सैकड़ों वर्षों से भटकती आत्माओं का पहरा है तो कोई यह मानता है एक श्राप ने इस स्थान की तकदीर बदल दी। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि सन 1291 के आसपास एक अमीर और मेहनती पालीवाल ब्राह्मणों ने 600 घरों वाले इस गांव को बसाया था। यह भी माना जाता है कि कुलधरा के आसपास 84 गांव थे और इन सभी में पालीवाल ब्राह्मण ही रहा करते थे।
कभी पालीवाल ब्राह्मणों का गढ़ था कुलधारा गाँव
ये ब्राह्मण ना सिर्फ मेहनती थे बल्कि वैज्ञानिक तौर पर भी सशक्त थे क्योंकि कुलधरा के अवशेषों से यह स्पष्ट अंकित होता है कि कुलधरा के मकानों को वैज्ञानिक आधार से बनाया गया था। पालीवाल ब्राह्मणों का समुदाय सामान्य: खेती और मवेशी पालन पर निर्भर रहता था।
राज्य के दीवान सालम सिंह के कारण छोड़ा गाँव, पढ़ें पूरी कहानी
इसी दौरान खुशहाल जीवन जीने वाले पालीवाल ब्राह्मणों पर वहां के दीवान सालम सिंह की बुरी नजर पड़ गई। सालम सिंह को पालीवाल समाज की एक ब्राह्मण लड़की पसंद आ गई और वह हर संभव कोशिश कर उसे पाने की कोशिश करने लगा। जब उसकी सारी कोशिशें नाकाम होने लगीं तब सालम सिंह ने गांव वालों को यह धमकी दी कि या तो पूर्णमासी तक वे उस लड़की को उसे सौंप दें या फिर वह स्वयं उसे उठाकर ले जाएगा।
लड़की के सम्मान की खातिर 84 गाँव के ब्राह्मणों ने मिलकर खाली किया कूलधारा गाँव
गांव वालों के सामने एक लड़की के सम्मान को बचाने की चुनौती थी। वह चाहते तो एक लड़की की आहुति देकर अपना घर बचाकर रख सकते थे लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता चुना। एक रात 84 गांव के सभी ब्राह्मणों ने बैठकर एक निर्णय लिया कि वे रातों रात इस गांव को खाली कर देंगे लेकिन उस लड़की को कुछ नहीं होने देंगे। बस एक ही रात में कुलधरा समेत आसपास के सभी गांव खाली हो गए।
जाते-जाते दिया था ब्राह्मणों ने ये श्राप
जाते-जाते वे लोग इस गांव को श्राप दे गए कि इस स्थान पर कोई भी नहीं बस पाएगा, जो भी यहां आएगा वह बरबाद हो जाएगा। कुलधरा की सुनसान और बंजर जमीन का पीछा वह श्राप आज तक कर रहा है। तभी तो जिसने भी उन मकानों में रहने या उस स्थान पर बसने की हिम्मत की वह बर्बाद हो गया।
जो लोग यहाँ आए वो कभी वापिस नहीं जा पाए
इस स्थान पर लगे श्राप की बात को मनगढ़ंत मानकर कई लोग यहां आए लेकिन जो भी यहां एक रात रुका वह कभी वापस नहीं जा पाया। उसका नामोनिशान तक किसी को नहीं मिला।