एक बार एक गांव का मुखिया अपनी आंखों की बीमारी से बहुत परेशान था। साथ-साथ उसे बहुत घमंड भी था। क्योंकि उसके पास पैसा भी बहुत सारा था और अपने आप को सबसे समझदार और बुद्धिमान समझता था और दूसरों को बेवकूफ समझता था।
उनकी आंखों की परेशानी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही गयी। उसने सभी वेदों तथा डाक्टरों को भी दिखाया पर कोई आराम न मिला। किसी को अपने पास भी नहीं आने देता था, क्योंकि सबकी उसके बराबर हैसियत नहीं थी।
अंत में वह एक विदेशी डॉक्टर के पास गया। उस डॉक्टर ने सलाह दी कि आपको सिर्फ हरा रंग ही देखना है इसके अलावा कुछ और देखोगे तो पूरी आंखें हमेशा के लिए खराब हो जाऐगी।
फिर क्या था उस सेठ ने पूरे घर से लेकर गांव तक पूरा हरा रंग पुतवा दिया जिसमें उसका पूरा पैसा समाप्त हो गया। एक बार एक दरिद्र व्यक्ति ने उससे पूछा कि आप यह क्या कर रहे हैं, इस तरह से आप पूरी प्रकृति का रंग नहीं बदल सकते। उस सेठ ने कहा तुम चुप रहो और मेरे पास मत आओ, वह व्यक्ति कहता है कि सेठ जी आपका सारा धन चला गया पर घमंड न गया। वह सेठ कहता है निकल जा यहां से..!
वह व्यक्ति कहता है, मैं तो चला जाऊँगा परन्तु मेरी एक बात याद रखना आपको दुनिया बदलने की जरूरत नहीं है बल्कि आप हरा रंग का चश्मा ही खरीद लो। उस सेठ की आंखें खुल जाती है कि ये मैं क्या कर रहा हूं, ये व्यक्ति तो सही बोल रहा है। उसका घमंड भी चूर हो जाता है और वह सेठ उस व्यक्ति को उचित इनाम भी देता है।
शिक्षा:-
इसलिए कहा गया है कि सोच सोच में फर्क होता है। हर किसी की एक जैसी सोच नहीं रहती। हमें सबकी सोच का सम्मान करना चाहिए।