आज की कहानी : ( नेशनल थोट्स ) महाभारत के युद्ध में कई रोमांचक घटनाएँ हुईं, जिनमें से एक द्रोपदी का चक्रव्यूह भेदन भी है। यह कहानी हमें बुद्धि, विवेक, साहस और रणनीति के महत्व के बारे में सिखाती है।
कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत युद्ध में कौरवों के पक्ष में युधिष्ठिर का अपहरण कर लिया जाता है। उसे बचाने के लिए पांडवों को चक्रव्यूह नामक भूलभुलैयानुमा युद्ध क्षेत्र में प्रवेश करना होता है। यह चक्रव्यूह इतना जटिल होता है कि एक बार प्रवेश करने के बाद बाहर निकलना लगभग असंभव होता है।
पांडवों के सभी महान योद्धा, जैसे कि भीम और अर्जुन, चक्रव्यूह को भेदने में असमर्थ होते हैं। तब द्रोपदी, पांडवों की पत्नी, इस जटिल परिस्थिति में आगे आती हैं। वह युधिष्ठिर से जुड़े रहने वाले किसी को भी चक्रव्यूह भेदने में सक्षम नहीं मानती हैं।
तब द्रोपदी को पता चलता है कि युधिष्ठिर के बचपन का मित्र, युद्ध में शामिल नहीं होने का वचन देने वाले, शिखंडी ही चक्रव्यूह को भेद सकता है। वह युधिष्ठिर के साथ युद्ध में शामिल होने के लिए शिखंडी को मना लेती हैं।
शिखंडी चक्रव्यूह में प्रवेश करते हैं और अपने धनुष से मार्ग का निर्माण करते हुए युधिष्ठिर तक पहुंच जाते हैं। इसके बाद अर्जुन शिखंडी और युधिष्ठिर को चक्रव्यूह से बाहर निकालने में सफल होते हैं।
आज की कहानी भी प्रासंगिक है। यह हमें सिखाती है कि मुश्किल परिस्थितियों में भी बुद्धि, विवेक, साहस और रणनीति से रास्ता निकाला जा सकता है।