नवरात्रि का समापन होता है दशहरे के साथ। दशहरा यानी कि हिंदू धर्म का एक ऐसा पर्व जिसको बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस वर्ष दशहरा अक्टूबर के मध्य मे पड़ रहा है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार बात करें तो दशहरा या फिर जिसे बहुत से लोग विजयदशमी भी कहते हैं यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
कहते हैं यह वही दिन है जिस दिन प्रभु श्री राम ने माता सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाया था और रावण का वध किया था। ऐसे में इसलिए जीत के प्रतीक के रूप में हर साल रावण के साथ-साथ कुंभकरण और उनके पुत्र मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है। पूरे भारतवर्ष में ही दशहरे का त्यौहार बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही इस दिन दुर्गा पूजा का समापन भी हो जाता है।
दशहरे का महत्व
जैसा कि आपने पहले भी बताया कि दशहरे के इस पावन पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। ऐसे में लंकापति रावण पर प्रभु श्री राम की विजय के उपलक्ष में विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था।
इसी मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि मां दुर्गा ने महिषासुर के साथ 10 दिनों तक युद्ध किया और आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को उसका वध कर तीनों लोको को महिषासुर के आतंक से बचाया था जिसके चलते इस दिन को विजयादशमी के रूप में मनाए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई।
दशहरा पूजा और महत्व
दशहरे के दिन अपराजिता पूजा किए जाने की परंपरा है जो कि अपराह्न काल में की जाती है। आइए जान लेते हैं कि इसकी सही विधि क्या होती है:
• इस दिन घर के पूर्व उत्तर दिशा में कोई पवित्र और शुद्ध स्थान चुना जाता है।
• इसके बाद उस जगह को साफ करके वहां पर चंदन का लेप और अष्टदल चक्र बनाया जाता है।
• इसके बाद अपराजिता पूजा की संकल्प लिया जाता है।
• अष्टदल चक्र के बीच में अपराजिता मंत्र लिखा जाता है और फिर अपराजिता का आवाहन किया जाता है।
• इसके बाद मां जया को दाएं और मंत्र के साथ आवाहन किया जाता है और बाईं तरफ माँ विजया का आवाहन किया जाता है।
• इसके बाद अपराजिता नमः मंत्र के साथ षोडशोपचार पूजन की जाती है।
• इसके बाद लोग मां से प्रार्थना करते हैं कि हमारी पूजा स्वीकार करें और हमारे घर परिवार के खुशहाल जीवन के लिए अपना आशीर्वाद हमारे जीवन पर बनाए रखें।
• पूजा संपन्न होने के बाद देवी देवताओं को प्रणाम किया जाता है।
• अंत में मंत्र उच्चारण के साथ पूजा का विसर्जन किया जाता है।
विजयदशमी और दशहरे में क्या होता है अंदर
विजयदशमी और दशहरे में अंतर समझने के लिए यहां सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि प्राचीन काल से ही आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है। वहीं दूसरी तरफ जब प्रभु श्री राम ने इसी दिन लंकापति रावण का वध किया तो इस दिन को दशहरे के नाम से जाना जाने लगा। यानी कि ये बात तो साफ है कि, विजयदशमी का पर्व रावण के वध से बहुत समय पहले से ही मनाया जा रहा है।
दशहरे के दिन शस्त्र पूजा का महत्व
दशहरे के दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो कोई भी इस शुभ काम किया जाए उसका शुभ फल व्यक्ति को अवश्य प्राप्त होता है। इसके अलावा शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है।
कहते हैं कि इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण को परास्त कर विजय हासिल की थी। साथ ही इसी दिन मां दुर्गा ने भी महिषासुर का अंत किया था। इसके अलावा प्राचीन समय में क्षत्रिय लोग युद्ध पर जाने के लिए दशहरे का इंतजार करते थे। ऐसी मान्यता थी कि दशहरे के दिन जो भी युद्ध शुरू किया जाए उसमें जीत अवश्य होती है।
यही वजह है कि इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती थी और तभी से इस अनोखी परंपरा की शुरुआत हुई।
दशहरे के दिन महा उपाय के रूप में शमी के वृक्ष की पूजा किए जाने का विधान बताया गया है। कहते हैं इस दिन शमी वृक्ष की पूजा करने के बाद किसी भी नए कार्य जैसे दुकान, व्यवसाय, आदि कि यदि शुरुआत की जाए तो उसमें व्यक्ति को निश्चित ही सफलता मिलती है।
इसके अलावा इसके संबंध भी पुराणों से जुड़े हुए हैं। कहा जाता है कि जब भगवान श्री राम लंका पर चढ़ाई करने जा रहे थे तो उन्होंने सबसे पहले शमी के वृक्ष के सामने ही अपना शीश झुकाया था और लंका पर विजय की कामना की थी।
भारत में दशहरा मनाने के अलग अलग तरीके
• कुल्लू में भगवान रघुनाथ की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।
• कर्नाटक में कार्निवल जैसा उत्सव मनाया जाता है।
• तमिलनाडु में देवी की पूजा की जाती है।
• छत्तीसगढ़ में प्रकृति की पूजा की जाती है।
• पंजाब में 9 दिनों के उपवास और शक्ति की पूजा के साथ दशहरे का पर्व मनाया जाता है।
• उत्तर प्रदेश में रावण दहन किया जाता है।
• दिल्ली में रामलीला का आयोजन किया जाता है।
• गुजरात में गरबा के साथ दशहरा मनाया जाता है।
• पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा और दशहरे का खूबसूरत रंग देखने को मिलता है।
• मैसूर में शाही दशहरा मनाया जाता है।