जब बचपन में आइन्स्टीन जर्मनी के एक स्कूल में पढ़ते थे, तो उनके शिक्षक उनके साथ बहुत प्रयास करते थे, पर वे समझ में नहीं आते थे। उन्हें अक्सर पिटाई की भी सजा मिलती थी और सभी उन्हें कमजोर कहते थे।
एक दिन, कक्षा में उनको इतनी पिटाई हुई कि उनके शिक्षक ने कहा कि भगवान ने इन्हें दिमाग नहीं दिया है। इस पर उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और घर पर अपने आत्मविश्वास को बढ़ाते हुए अध्ययन करना शुरू किया।
वे अपने मन को एकाग्रित के साथ पढ़ने लगे और गणित के नए-नए सिद्धांतों की खोज करने लगे। इसी तरह, वह बच्चा बड़े होकर आइन्स्टीन के नाम से मशहूर हुए, और उन जैसा गणितज्ञ दुनिया में और कहीं नहीं पाया गया।