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आज की कहानी:ईश्वर

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एक राजा ने सलाहकार के सामने अचानक 3 प्रश्न उछाल
दिये।

प्रश्न थे-
‘ईश्वर कहाँ रहता है?
वह कैसे मिलता है
और वह करता क्या है?”

सलाहकार इन प्रश्नों को सुनकर सकपका गए और बोले-
”महाराज ! इन प्रश्नों के उत्तर मैं कल आपको दूँगा।”

जब सलाहकार घर पहुँचे तो वह बहुत उदास थे।

उनके पुत्र ने जब उनसे पूछा तो उन्होंने बताया-
”बेटा! आज राजा ने मुझसे एक साथ तीन
प्रश्न
‘ईश्वर कहाँ रहता है?
वह कैसे मिलता है?
और वह करता क्या है?’
पूछे हैं।

मुझे उनके उत्तर सूझ नहीं रहे हैं और कल दरबार
में इसका उत्तर देना है।”

सलाहकार के पुत्र ने कहा-”पिता जी!
कल आप मुझे दरबार में अपने साथ ले चलना मैं राजा के प्रश्नों के उत्तर दूँगा।”

पुत्र की हठ के कारण सलाहकार अगले
दिन अपने पुत्र को साथ लेकर दरबार में पहुँचे।

सलाहकार को देख कर राजा ने कहा-
”सलाहकार मेरे प्रश्नों के उत्तर दो।

सलाहकार ने कहा- राजा आपके प्रश्नों के
उत्तर तो मेरा पुत्र भी दे सकता है।”

राजा ने सलाहकार के पुत्र से पहला प्रश्न पूछा-
”बताओ! ‘ईश्वर कहाँ रहता है?”

सलाहकार के पुत्र ने एक गिलास शक्कर मिला हुआ दूध
राजा से मँगवाया
और कहा-
महाराजा दूध कैसा है?

राजा ने दूध चखा और कहा कि ये मीठा है।

परन्तु क्या आपको इसमें शक्कर दिखाई दे रही है।

राजा बोले…. नहीं वह तो घुल गयी।

जी हाँ, ! ईश्वर भी
इसी प्रकार संसार की हर वस्तु में रहता
है। जैसे शक्कर दूध में घुल गयी है परन्तु वह दिखाई
नहीं दे रही है।

राजा ने संतुष्ट होकर अब दूसरे प्रश्न का उत्तर पूछा-
”बताओ! ईश्वर मिलता केसे है?”

बालक ने कहा-
”राजा थोड़ा दही मँगवाइए।”
राजा ने दही मंगवाया तो सलाहकार के
पुत्र ने कहा-
‘महाराज क्या आपको इसमें मक्खन दिखाई दे रहा है।

राजा ने कहा-
”मक्खन तो दही में है पर इसको मथने पर
ही दिखाई देगा।

” बालक ने कहा-
”महाराज! मंथन करने पर ही ईश्वर के दर्शन
हो सकते हैं।”

राजा ने संतुष्ट होकर अब
अंतिम प्रश्न का उत्तर पूछा-
”बताओ! ईश्वर करता क्या है?”

सलाहकार के पुत्र ने कहा-
”महाराज! इसके लिए आपको मुझे अपना गुरु स्वीकार
करना पड़ेगा।”

राजा बोले-
”ठीक है,
तुम गुरू और मैं तुम्हारा शिष्य।”

अब बालक ने कहा-
”महाराज गुरू तो ऊँचे आसन पर बैठता है और शिष्य
नीचे।”

राजा ने बालक के लिए सिंहासन खाली कर दिया और
स्वयं नीचे बैठ गये।

अब बालक ने सिंहासन पर बैठ कर कहा-
”महाराज! आपके अन्तिम प्रश्न का उत्तर तो यही
है।”

राजा बोले- ”क्या मतलब?
मैं कुछ समझा नहीं।”

बालक ने कहा-
”महाराज! ईश्वर यही तो करता है।
“पल भर में राजा को रंक बना देता है और भिखारी को
सम्राट बना देता है।

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