एक आदमी के पास एक घोड़ा और एक गधा था। एक दिन वह उनके साथ बाजार जा रहा था। उसने गधे पर बोझ रख दिया जैसे हर दिन करता था। लेकिन घोड़े पर कोई बोझ नहीं था।
रास्ते में, गधा ने घोड़े से कहा, “भैया, मेरे ऊपर फिर से बहुत ज्यादा बोझ है। कुछ थोड़ा सा बोझ मेरे ऊपर से उठा लो।” घोड़े ने उससे कहा, “तुम्हारे बोझ का कोई लेना-देना नहीं है, वह तुम्हारा है और तुम्हें ही उसका संभालना है। मैं इसमें मदद नहीं कर सकता।”
गधे को यह सुनकर चुपचाप हो गया। फिर तीनों मिलकर चुपचाप चलते रहे। कुछ समय बाद, बोझ के कारण, गधे के पैर थकने लगे और वह गिर गया। उसके मुंह से थोड़ी सी ज्यू निकली।
उसके बाद, उस आदमी ने गधे के सारे बोझ को उतारकर घोड़े पर रख दिया। घोड़ा टहलते-टहलते सोचने लगा कि अगर वह गधे के थोड़े से बोझ को ले लेता तो यह उसके लिए बेहतर होता। अब उसे सारा बोझ बाजार ले जाना था।
कहानी से शिक्षा मिलती है कि दुसरो के तकलीफ में साहयता करना मानव धर्म है। इसलिए मदत करते रहिये और आगे बढ़ते रहिये।