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आज की कहानी: कर्मफल

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एक सांप को एक बाज़ आसमान पे ले कर उड़ रहा था..

अचानक पंजे से सांप छूट गया और कुवे मे गिर गया बाज़ ने बहुत कोशिश की आखिर थक हार कर चला गया..

सांप ने देखा कुवें मे बड़े किंग साईज़ के बड़े बड़े मेढक मौजूद थे..

पहले तो डरा फिर एक सूखे चबूतरे पर जा बैठा और मेढकों के प्रधान को लगा खोजने..

आखिर उसने एक मेंढक को बुलाया और कहा मैं सांप हूँ मेरा ज़हर तुम सब को पानी मे मार देगा..

ऐसा करो रोज़ एक मेढक तुम मेरे पास भेजा करो, वह मेरी सेवा करेगा और तुम सब बहुत आराम से रह सकते हो..

पर याद रखना एक मेंढक रोज़ रोज़ आना चाहिए.. एक एक कर के सारे मेंढक सांप खा गया..

जब अकेले प्रधान मेढक बचा तब सांप चबूतरे से उतर कर पानी मे आया और बोला प्रधान जी आज आप की बारी है

प्रधान मेंढक ने कहा मेरे साथ विश्वासघात ? सांप बोला जो अपनों के साथ विश्वासघात करता है उसका यही अंजाम होता है।

फिर उसने प्रधान जी को गटक लिया।

कुछ देर के बाद साँप आहिस्ता आहिस्ता कुवे के ऊपर आ कर चबूतरे पर लेट गया..

तभी एक बाज़ ने आ कर सांप को दबोच लिया..

पहचान साँप मुझे मैं वही बाज़ हूँ जिसके बच्चे तूने पिछले साल खा लिये थे..

और जब तुझे पकड़ कर ले जा रहा था तब तू मेरे पंजे से छूट कर कुवे मे जा गिरा था..

तब से मैं रोज़ तेरी हरकत पर नज़र रखता था.. आज तू सारे मेंढक खा कर काफी मोटा हो गया..

मेरे फिर से बच्चे बड़े हो रहे है वह तुझे ज़िंदा नोच नोच कर अपने भाई बहनों का बदला लेंगे..

फिर बाज़ सांप को लेकर उड़ गया अपने घोंसले की तरफ..

बुराई एक दिन हार जाती है वह चाहे कितनी भी ताकतवर हो..!!

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