आज की कहानी ( नेशनल थोट्स ) – कर्ण, महाभारत के एक महान योद्धा थे, जिनकी कथाएं वीरता और परोपकार की बात करती हैं। उन्होंने जीवन के हर क्षण में धर्म का पालन किया और अपने साथियों के लिए सदैव तत्पर रहे।
कर्ण का जन्म राजा कुंती और सूर्य भगवान के अपूर्व वरदान से हुआ था। उनका पालन-पोषण और शिक्षा कौरवों के पास ही हुआ था, लेकिन उनका मन देशभक्ति और धर्म के प्रति समर्पित था।
कर्ण की वीरता और उनकी निष्ठा अद्भुत थी। वे हमेशा सच्चाई और धर्म के पक्ष में खड़े रहते थे, चाहे वह किसी भी समय हो। महाभारत युद्ध में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
कर्ण की वीरता
- द्रौपदी चीरहरण: जब दुशासन द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास कर रहा था, तब कर्ण ने द्रौपदी की रक्षा करने का प्रयास किया।
- गुरु द्रोणाचार्य से शिक्षा: कर्ण ने गुरु द्रोणाचार्य से शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन उन्हें उनके क्षत्रिय न होने के कारण मना कर दिया गया।
- अंगदेश का राजा: कर्ण को दानवीरता के लिए जाना जाता था। उन्होंने अंगदेश का राज्य दान में दे दिया था।
- कुरुक्षेत्र युद्ध: कर्ण ने कुरुक्षेत्र युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु का वध किया।
कर्ण की वीरता
- साहस: कर्ण ने सदैव साहस के साथ जीवन जीया।
- दानवीरता: कर्ण दानवीरता के लिए जाने जाते थे।
- मित्रता: कर्ण ने जीवन भर मित्रता का पालन किया।
- कर्म का महत्व: कर्ण ने सदैव कर्म का महत्व समझा।