एक शहर में एक मशहूर होटल मालिक ने अपने होटल में एक स्विमिंग पूल बनवाया। स्विमिंग पूल के चारों ओर बेहतरीन इटैलियन टाइल्स लगवाये, परन्तु मिस्त्री की गलती से एक स्थान पर टाइल लगना छूट गया।
बहरहाल, जो भी आता पहले उसका ध्यान टाइल्स की खूबसूरती पर जाता। इतने बेहतरीन टाइल्स देख कर हर आने वाला मुग्ध हो जाता। वो बड़ी ही बारीकी से उन टाइलों को देखता व प्रशंसा करता।
पर जब उसकी नज़र उस मिसिंग टाइल पर जाती तो वहीं अटक जाती…।
उसके बाद वो किसी भी अन्य टाइल की खूबसूरती नहीं देख पाता। स्विमिंग पूल से लौटने वाले हर व्यक्ति को यही शिकायत रहती की एक टाइल मिसिंग है। हजारों टाइल्स के बीच में वो मिसिंग टाइल उसके दिमाग पर हावी रहती।
लोगों को उन टाइलों को देख कर बहुत दुःख होता कि इतना परफेक्ट बनाने पर भी एक टाइल रह ही गयी। कई लोगों को यह उलझन होती कि कैसे भी करके वो टाइल ठीक कर दिया जाए। बहरहाल वहां से कोई भी खुश नहीं निकला और एक खूबसूरत स्विमिंग पूल लोगों को कोई खुशी या आनंद नहीं दे पाया।
दरअसल उस स्विमिंग पूल में वो मिसिंग टाइल एक मनोवैज्ञानिक प्रयोग था। प्रयोग ने इस बात को सिद्ध किया है कि हमारा ध्यान कमियों की तरफ ही जाता है। कितना भी खूबसूरत सब कुछ हो रहा हो पर जहाँ एक कमी रह जायेगी वहीं पर हमारा ध्यान रहेगा।
टाइल तक तो ठीक है पर यही बात हमारी जिंदगी में भी हैं। यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है जिससे अधिकांश व्यक्ति गुज़र रहे हैं।
इस मनोविज्ञानिक समस्या को “मिसिंग टाइल सिंड्रोम” का नाम दिया गया। यानी उन चीजों पर ध्यान देना जो हमारे जीवन में नहीं है। आगे चल कर यह हमारी खुशियों को चुराने का सबसे बड़ा कारण बन जाता है।
भगवान ने हमे 32 दांत दिये, लेकिन हमारी जीभ उस टूटे हुए दांत पर ही क्यूँ जाती रहती है, कभी सोचा है? घर पर आपका ध्यान उसी फर्नीचर पर क्यूँ जाता है जो अपनी जगह पर से हटा हुआ है।
ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जिसमें हम अपनी किसी एक कमी के पीछे सारा जीवन दुखी रहते हैं। ज्यादातर लोग उन्हें क्या-क्या मिला है पर खुश होने के स्थान पर उन्हें क्या नहीं मिला है पर दुखी रहते हैं।
दरअसल मिसिंग टाइल हमारा फोकस चुरा कर हमारी जिन्दगी की सारी खुशियाँ चुराता है। यह शारीरिक और मानसिक कई बीमारियों की वजह बनता है।
अब हमारे हाथ में है कि हम अपना फोकस
मिसिंग टाइल
पर रखें और दुखी रहें… या उन अच्छाईयों पर रखे जो हमारे साथ है और खुश रहें।