अंगदेश में सूखा पड़ा, भगवान इन्द्र बने वजह
ऐसे में बिना वर्षा अंगदेश में सूखा पड़ जाता है। इस वजह से अकाल की स्थिति पैदा हो जाती है। इस समस्या से उबरने के लिए राजा रोमपद ऋषि श्रंग के पास जाते हैं और उनसे इस समस्या का उपाय पूछते हैं। ऋषि राजा को यज्ञ कराने की सलाह देते हैं, जिससे रूठे इंद्र देव को मनाया जा सके। राजा रोमपद ऐसा ही करते हैं और यज्ञ के बाद अंगदेश में पुनः वर्षा होती है। इससे अंगदेश में आई समस्या का अंत होता है। ऋषि श्रंग से प्रसन्न होकर राजा रोमपद उनसे अपनी पुत्री शांता का विवाह करा देते हैं।
राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए करवाया यज्ञ
शांता के बाद राजा दशरथ के कोई संतान नहीं थी। इसके लिए वह बहुत ही चिंतित रहते थे। इसी कारण वह भी ऋषि श्रंग के पास जाते हैं। ऋषि श्रंग उन्हें कामाक्षी यज्ञ कराने की सलाह देते हैं। ऋषि के कहे अनुसार राजा दशरथ कामाक्षी यज्ञ संपन्न कराते हैं और प्रसाद के रूप में खीर बनवाते हैं। यज्ञ समाप्त होने के बाद जो खीर का प्रसाद था, उसे राजा दशरथ की तीनों पत्नियां कौशल्या, सुमित्रा और कैकई ग्रहण करती हैं।
यज्ञ के बाद हुई पुत्र की प्राप्ति
कामाक्षी यज्ञ के प्रताप से रानी कौशल्या को पुत्र के रूप में राम, कैकई को भरत और सुमित्रा को लक्ष्मण व शत्रुघ्न की प्राप्ति होती है। चारों पुत्रों को अपनी बहन शांता के बारे में कुछ भी मालूम नहीं होता है। समय के साथ धीरे-धीरे राम को अपनी माता के दुख का पता चलता है। साथ ही भगवान राम की बहन शांता के जीवन का सच, जो कोई नहीं जानता था, राम को मालूम हो जाता है। बहन शांता के बारे में जानने के बाद राम अपनी मां को बहन शांता से मिलवाते हैं और सभी पुराने मतभेदों को दूर कर एक साथ रहने का वचन देते हैं।