चारों जानवर अच्छे पद पर
इन चारों को भले ही शेर ने अच्छे-अच्छे पद दे रखे थे, लेकिन दूसरे जानवर इन्हें चापलूस मंडली कहते थे। सबको पता था कि चारों कोई काम करें, चाहे न करें, लेकिन शेर की चापलूसी खूब अच्छे से करते हैं। रोजाना चारों जानवर शेर की बढ़ाई में कुछ शब्द कह देते थे, जिससे वो खुश हो जाता था। इन सबके चलते जैसे ही शेर शिकार करता था, तो अपना पेट भरने तक खाने के बाद वो अपने चारों खास पद में बैठे जानवरों को बाकी का हिस्सा दे देता था। इसी तरह लोमड़ी, भेड़िया, चीता और चील की जिंदगी बड़े ही आराम से कट रही थी।
चील ने दी शिकारी की खबर
एक दिन खबरी चील ने अपने चापलूस दोस्तों को आकर बताया कि काफी देर से सड़क के पास में ही एक ऊंट बैठा हुआ है। भेड़िया ने सुनते ही पूछा कि क्या वो अपने काफिले वालों से बिछड़ गया है? चीते ने इस सवाल को सुनते ही कहा कि चाहे जो भी हो हम उसका शिकार करवा देते हैं शेर से। उसके बाद कई दिनों तक आराम से उसे खाएंगे।
पहले ऊंट बना शिकार
इस बात को सहमति देते हुए लोमड़ी ने कहा कि ठीक है मैं जाकर राजा से यह बात करती हूं। इतना कहकर सीधे लोमड़ी शेर के पास पहुंची और बड़े ही प्यार से बोली, ‘महाराज! हमारा दूत खबर लेकर आया है कि एक ऊंट हमारे इलाके में आकर सड़क के किनारे में बैठा हुआ है।’ मुझे किसी ने बताया था कि मनुष्य जिन जानवरों को पालते हैं उनका स्वाद काफी अच्छा होता है। एकदम राजाओं के खाने के लायक। अगर आप कहें, तो मैं यह ऐलान करवा दूं कि वह ऊंट आपका शिकार है?
लोमड़ी की बातों में आया शेर
लोमड़ी की अच्छी बातों में आकर शेर ने कहा, ठीक है। इतना कहते ही वह उस जगह पर पहुंच गया, जहां ऊंट बैठा हुआ था। शेर ने देखा कि वो ऊंट काफी कमजोर है और उसकी आंखें भी काफी पीली हो चुकी हैं। उसकी ऐसी हालत शेर से देखी नहीं गई। उसने ऊंट ने पूछा कि दोस्त, तुम्हारी ऐसी हालत कैसे हो गई?
दर्द से कराहते हुए ऊंट ने दिया जवाब
कराहते हुए ऊंट ने जवाब दिया, ‘जंगल के राजा क्या आपको नहीं पता कि सारे इंसान कितने दयाहीन होते हैं। सारी उम्र मुझसे एक व्यापारी ने माल ढुलाया। अब मैं बीमार हो गया, तो उसने मुझे अकेले मरने के लिए छोड़ दिया। उसने सोचा कि मैं उसके किसी काम का नहीं रहा। इसी वजह से अब वो मुझे अपने साथ नहीं रख रहा है और न ही मेरा इलाज करवा रहा है। अब आप ही मेरा शिकार कर दीजिए ताकि मुझे इस दर्द से मुक्ति मिल जाए।’
ऊंट का शिकार कोई भी नहीं करेगा – शेर
इन सब बातों को सुनकर शेर काफी दुखी हुआ। उसने ऊंट से कहा कि अब तुम इसी जंगल में रहोगे हमारे साथ। यहां तुम्हें कोई भी नहीं मारेगा। मैं ऐलान कर देता हूं कि तुम्हारा शिकार कोई जानवर नहीं करेगा | शेर की इस दयालुता को देखकर चारों चापलुस जानवर दंग रह गए। धीमी आवाज में भेड़िये ने कहा कि कोई नहीं, बाद में इसे किसी तरह से मरवा देंगे। अभी जंगल के राजा का आदेश मान लेते हैं।
सब कुछ बिल्कुल स्वस्थ और अच्छा चल रहा था
ऊंट अब उसी जंगल में आराम से रह रहा था। अच्छे से हरी घास खाते-खाते ऊंट एक दिन बिल्कुल स्वस्थ हो गया। वो हमेशा शेर के प्रति आदर भाव रखता था और शेर के दिल में भी उसके लिए दया और प्रेम की भावना थी। अब शेर की शाही सवारी भी स्वस्थ ऊंट निकालता था। वो शेर के चारों खास पदाधिकारी जानवरों को अपनी पीठ पर बैठाकर चलता।
एक दिन चापलूस जानवरों ने जंगल के राजा शेर को हाथी का शिकार करने के लिए कहा। राजा भी मान गया, लेकिन वो हाथी पागल था। उसने शेर को बुरी तरह से पटक दिया। किसी तरह से शेर पागल हाथी से बच तो गया, लेकिन उसे काफी चोट लग लई।
बीमार शेर के सामने कोई उपाय नहीं
अब बीमार शेर बिना शिकार किए किसी तरह से अपनी जिंदगी जीने लगा। उसके सेवक भी भूखे थे। उनके मन में हुआ कि आखिर ऐसा क्या करें कि कुछ खाने को मिल जाए। फिर उनका ध्यान हट्टे-कट्टे हो चुके ऊंट पर गया। सबने मिलकर एक तरकीब सोची और राजा के पास चले गए। सबसे पहले भेड़िए ने कहा कि महाराज आप कितने दिनों तक भूखे रहेंगे। मेरा शिकार करके मुझे खा लीजिए आपकी भूख मर जाएगी।
इसी बात का इंतज़ार
चारों चापलूस जानवरों को इसी बात का इंतजार था। उन्होंने एकदम कहा कि ठीक है महाराज आप ऊंट को ही खा लीजिए। अब तो ये खुद ही कह रहा है कि मुझे खा लो और इसके शरीर में मांस भी काफी ज्यादा है। अगर आपकी तबीयत ठीक नहीं लग रही है, तो इसका शिकार हम कर देते हैं। इतना कहते ही चीते और भेड़िये ने मिलकर एक साथ ऊंट पर हमला कर दिया। कुछ ही देर में ऊंट की मौत हो गई।
कहानी से मिली सीख – अपने आसपास चापलूस लोगों को नहीं रखना चाहिए। वो हमेशा अपने फायदे की ही सोचते हैं।