एक बैंक की वेल्थ मैनेजर मुझसे मिलने आई। बहुत पढ़ी लिखी,उसे इन्वेस्टमेंट की अच्छी जानकारी थी।
लंच पर बातों में मैंने पूछा की वो कहां पैसा निवेश करती है। उसने बताया कि बोनस के साथ उसका वार्षिक पैकेज करीब एक करोड़ रुपए का है। फिर बचत और निवेश के बारे में बताया। उसके ID card से मुझे पता था कि वो करीब पैंतीस साल की है। मैने परिवार के बारे में पूछा तो उसने कहा मम्मी पापा हैं। (यानि उसने अब तक शादी के बारे में नहीं सोचा था।)
काफी महत्वाकांक्षी और “करियर ओरिएंटेड” थी। शादी, पति, बच्चें उसके लिए प्रगति और आजादी में बाधा थे।
मैंने पूछा बैंक में रिटायरमेंट की उम्र क्या है? उसने कहा साठ साल। मैने कहा, साठ तक तो आप पच्चीस करोड़ और कमा लोगे। इन्वेस्टमेंट में होशियार हो तो पच्चीस के पचास करोड़ तो कर ही लोगे। चलो खर्चा भी अच्छा किया तो तीस चालीस करोड़ तो बच ही जायेगा।
फिर मैंने पूछा,साठ साल की उम्र में चालीस करोड़ का क्या करोगी? अब उसकी चुप्पी शुरू हुई। मैंने कहा, मम्मी पापा के साठ की उम्र से ज्यादा साथ रहने की संभावना कम है। फिर ना पति,ना बच्चें।आजादी तो पूरी होगी,पर खाना किसके साथ खाओगे?
उसने कहा कि अनाथ बच्चों और बड़ों के लिए NGO खोलेगी। मैंने कहा कि अब दान ही करना है तो पच्चीस साल का जीवन इकट्ठा करने में बताने का फायदा? चालीस करोड़ के साथ यदि अकेले ओल्ड एज या सीनियर होम में ही अंतिम समय निकालना है तो क्या ये तुम्हारा निवेश है?
वो झुंझला गई। उससे ये सवाल कभी किसने नहीं किया था।
ज्यादा पढ़ी लिखी और सफल लड़की अपनी जवानी को स्थाई मान लेती है।अनेक चापलूस लड़कों को पति के बंधन से अच्छा समझती है।बच्चे बाधा और “जनसंख्या” बढ़ाने वाले दिखाई देते हैं।माता पिता की उपस्थिति को स्थाई मानती है। पुरुष को धन से बदले जा सकने को सत्य मानती है।
जाते हुए मैंने उससे कहा, I don’t take investment advice from a person who accumulate money to become lonely. (मैं ऐसे निवेश सलाहकार के साथ काम नहीं करता जो कालापन खरीदने के लिए पैसा इकट्ठा करते हैं).
जो समय का सही निवेश नहीं जानते,वो कोई निवेश नहीं जानते..!!