“एक ऐसा दिलचस्प किस्सा है जिसमें सरदार वल्लभ भाई पटेल का बचपन शामिल है। एक दिन, उन्हें चोट आ गई, और वो जगह पक गए, लेकिन कई घरेलू उपचारों के बावजूद चोट ठीक नहीं हुई। अंत में, एक वैध की सलाह पर उन्होंने चोट पर गरम लोहा लगाने की सलाह दी।
जब घर के लोग डर गए क्योंकि यह बहुत दर्दनाक हो सकता है, तो बच्चा वल्लभ ने हिम्मत नहीं हारी। वह लुहार के पास गया और उससे कहा कि वो गरम-गरम लोहा उसकी चोट पर लगा दे, ताकि चोट दब जाए। लुहार ने पहले मना किया, क्योंकि वो बच्चा था, और डर ने उसके मन को दबा दिया। लेकिन वल्लभ ने दो-तीन जगह और पूछा, लेकिन सभी ने इंकार कर दिया।
तब वो बच्चा बड़ी हिम्मत से गरम लोहे की सलाख उठाई और अपनी चोट पर लगा दी। उसके साहस को देखकर सभी चौंक गए। यही वल्लभ बचपन के बाद में महान स्वतंत्रता सेनानी बने, और स्वतंत्रता प्राप्त होने पर उन्होंने देश के पहले गृह मंत्री और उपप्रधान मंत्री का पद संभाला।
यह कहानी हमें दिखाती है कि हौसले और साहस का कोई आयु नहीं होती, और छोटे से बच्चे की भी बड़ी क़दर करनी चाहिए।”