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आज की कहानी : अनंत की तलाश

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एक बहुत मशहुर चित्रकार था । उसकी बनाई पेंटिंग तुरन्त बिक जाती। बहुत लोग उसके पेंटिंग के दीवाने थे और उसके बनाई पेंटिंग का मुँह माँगा दाम देने के लिये तैयार रहते थे। चित्रकार भी पेंटिंग के प्रति इतना समर्पित था कि अभी तक शादी नहीं किया था।

ढलती उम्र मे चित्रकार एक बार सोचने लगा कि मेरी बनाई चित्रकारी को लोग इतना पसंद करते हैं, मुझे खुश करने के लिए मुँह माँगा दाम देते है लेकिन जिसने मेरा सृजन किया, जिसने इस खूबसूरत सृष्टि का सृजन किया है, उस सृष्टिकर्ता को खुश करने के लिए मै आजतक कुछ नही किया।उनकी कलाकृतियों (संसार) को तो मै दिल खोलकर निहारा भी नही। प्रकृति के सुन्दर रूपों को अपने कलाकृतियों में चित्रित किया, लेकिन उसके मधुर सूर्य धीमी आवाज को सुना ही नही। यह सोचते सोचते उसकी तालिका रुक गयी।

उसने निश्चय किया कि अब वो भगवान के बनाये रचना को निहारेगा और भगवान को खुश करने के लिए कुछ करेगा। उसे अपने काम से व्यक्ति होने लगा।

एक दिन चित्रकार घर द्वार छोड़कर अनंत की खोज में निकल पडा। चलते चलते शाम ढलने लगी थी। एक पेड़ के नीचे बैठकर रात्रि विश्राम  के लिए सोचने लगा। आस पास कोई घर नजर नहीं आ रहा था।

उसी समय उधर से गुजर रही एक नन्ही सी प्यारी सी बच्ची की नजर पत्रकार पर पडी। बच्ची प्रकार से बोली कि आप कौन हैं,आपको कहाँ जाना है,रात होने को है, चलिए हमारे घर ,आपको अपने बाबा से मिलता हुँ । बच्चे वैसे भी भगवान का रूप होते है, बच्चे सभी को प्यारे लगते है। बच्ची के बालहठ और  प्यार पूर्वक आग्रह  किस प्रकार की सुविधा समाप्त हो गयी। वह बच्ची के साथ उसके घर चल दिया।

अतिथि देवो भव के भाव से उस घर के बुजुर्ग ने चित्रकार का स्वागत खुशी मन से किया। उसने चित्रकार को आदरपूर्वक खाना खिलाने के बाद रात्रि विश्राम की व्यवस्था कर दी।

चित्रकार ने महसूस किया कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। जीवन में पहली बार उसे पराये भी अपने लगने लगे थे। चित्रकार उस बच्ची और बुजुर्ग के प्यार और सम्मान से भावविभोर हो गया, बरबस उनके आँखो से आँसू निकल पडे़। चित्रकार ने बुजुर्ग से कलर पेन्ट तथा ब्रश मँगा कर उसके घर के सामने जो लकडी का बाढ़ (फेंसिंग) लगा था उसको पेंट कर दिया। इसके बाद उनलोगो से विदा लेकर    चित्रकार वहाँ से चला गयाा।
इधर जब चर्चा हुई कि चित्रकार घर छोड़कर कहीं चले गये है । चित्रकार के प्रशंसक उनकी खोज करते करते बुजुर्ग के घर पहुँचे। हुलिया सुनकर बुजुर्ग ने बताया कि वे मेरे यहाँ रात्रि विश्राम के बाद मेरे बड़े (फेंसिंग) को पेंट करके कहीं चले गये।

चित्रकार के प्रशंसकों ने जब उसके द्वारा पेन्ट किये बाड़ को देखा तो उनके खुशी का ठिकाना नहीं रहा। चित्रकार बाड़ के सभी खम्भों पर अपना हस्ताक्षर कर दिये था। वो बाड देखते ही देखते लाखों रुपयों में बिक गये।यह चित्रकार द्वारा बच्ची को दिया गया तुच्छ उपहार था।
उधर चित्रकार अनन्त की तलाश मे अनन्त की तरफ चलते जा रहा था।

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