एक लड़की विवाह करके ससुराल में आयी| घर में एक उसका पति था, एक सास थी और एक दादी सास थी|
वहाँ आकर उस लड़की ने देखा कि दादी सास का बड़ा अपमान, तिरस्कार हो रहा है! छोटी सास उसको ठोकर मार देती, गाली दे देती|
अतः उसने अपनी सास से कुछ नहीं कहा|
मेरे पिताजी ने कहा था कि वहाँ हमारे घर के रिवाज नहीं चलेंगे, वहाँ तो तेरे ससुराल के रिवाज चलेंगे| मेरे को यहाँ के रिवाज सीखने है, इसलिये मैं उनसे पूछती हूँ कि मेरी सास आपकी सेवा कैसे करती है?’ सास ने पूछा कि ‘बुढ़िया ने क्या कहा?’
‘मेरे पिता जी ने कहा कि तेरे वहाँ की रीति चलेगी|’
‘यह रीति थोड़े ही है!’ ‘तो आप फिर आप ठीकरी मैं क्यों देती हो?’ ‘थाली कौन माँजे?’ ‘थाली तो मैं माँज दूँगी|’ ‘तो तू थाली में दिया कर, ठीकरी उठाकर बाहर फेंक|’ अब बूढ़ी माँजी को थाली में भोजन मिलने लगा| सबको भोजन देने के बाद जो बाकी बचे, वह खिचड़ी की खुरचन, कंकड़ वाली दाल माँ जी को दी जाती थी|
लड़की उसको हाथ में लाकर देखने लगी| सास ने पूछा-‘बहू! क्या देखती हो?’ ‘मैं देखती हूँ कि बड़ों को भोजन कैसा दिया जाय|’ ‘ऐसा भोजन देने की कोई रीति थोड़े ही है!’ ‘तो फिर आप ऐसा भोजन क्यों देती हो?’ ‘पहले भोजन कौन दे?’ ‘आप आज्ञा दो तो मैं दे दूँगी|’ ‘तो तू पहले भोजन दे दिया कर|’ ‘अच्छी बात है!’
अब बूढ़ी माँ जी को बढ़िया भोजन मिलने लगा| रसोई बनते ही वह लड़की ताजी खिचड़ी, ताजा फुलका, दाल-साग ले जाकर माँ जी को दे देती| माँ जी तो मन-ही-मन आशीर्वाद देने लगी| माँ जी दिनभर एक खटिया में पड़ी रहती| खटिया टूटी हुई थी| उसमें से बन्दनवार की तरह मूँज नीचे लटकती थी| लड़की उस खटिया को देख रही थी| सास बोली कि ‘क्या देखती हो?’
‘देखती हूँ कि बड़ों को खाट कैसे दी जाय|’ ‘ऐसी खाट थोड़े ही दी जाती है! यह तो टूट जाने से ऐसी हो गयी|’ ‘तो दूसरी क्यों नहीं बिछातीं?’ ‘तू बिछा दे दूसरी|’ ‘आप आज्ञा दो तो दूसरी खाट बिछा दूँ!’ अब माँ जी के लिए निवार की खाट लाकर बिछा दी गयी| एक दिन कपड़े धोते समय वह लड़की माँ जी के कपड़े देखने लगी| कपड़े छलनी हो रखे थे| सास ने पूछा कि ‘क्या देखती हो?’
‘देखती हूँ कि बूढों को कपड़ा कैसे दिया जाय|’ ‘फिर वही बात, कपड़ा ऐसा थोड़े ही दिया जाता है? यह तो पुराना होने पर ऐसा हो जाता है|’ ‘फिर वही कपड़ा रहने दें क्या?’ ‘तू बदल दे|’ अब लड़की ने माँ जी का कपड़ा चादर, बिछौना आदि सब बदल दिया| उसकी चतुराई से बूढ़ी माँ जी का जीवन सुधर गया!
सार- अगर वह लड़की सास को कोरा उपदेश देती तो क्या वह उसकी बात मान लेती? बातों का असर नहीं पड़ता, आचरण का असर पड़ता है| इसलिये लड़कियों को चाहिये कि ऐसी बुद्धिमानी से सेवा करें और सबको राजी रखें|