एक लड़का जिसका नाम उल्लास था उसने एक साँप को पत्थर के नीचे दबे देखा तो उसे दया आ गई उसने पत्थर हटाकर साँप से पूछा तुम यहाँ कैसे दब गये थे ?
साँप बोला मै एक चूहे को पकड़ने के लिए यहाँ आया था तो पत्थर के नीचे दब गया ! साँप बोला मुझे तेज भूख लगी है मै तुम्हे खाऊँगा ! तब उल्लास ने कहा मैंने तुम्हें बचाया है और तुम मुझे ही खाना चाहते हो ? आखिरकार काफी वाद-विवाद के बाद दोनों अन्य तीसरे व्यक्ति से न्याय करवाने के लिए राजी हो गये !
तभी उन्हें एक सियार दिखाई दिया ! उसे सारी बात बताकर न्याय करने के लिए कहा -सियार ने सोचा अगर साँप लड़के को मारेगा तो उसे भी खाने को मिलेगा ! उसने तुरंत साँप के हक में फैसला सुना दिया ! लड़के ने फैसला मानने से इंकार कर दिया !
तब एक नेवला वहाँ से गुजरा उसे भी सारी बात बताकर न्याय करने की अपील की ! साँप का दुश्मन नेवला बोला इसके साथ वही व्यवहार करना चाहिए जो एक दगाबाज के साथ किया जाना चाहिए ! साँप ने मानने से इंकार कर दिया !
थोड़ी देर में वहाँ से एक आदमी वहाँ से गुजरा उसे सारी बाते बताई तब उस आदमी ने हैरानी से पूछा भला एक साँप पत्थर के नीचे कैसे दब सकता है , तब साँप ने कहा मै बताता हूँ तब साँप वैसे ही बैठ गया , उस लड़के ने तुरंत ही उसके ऊपर पत्थर रख दिया ! आदमी ने कहा इसे यही दबकर मरने दो ! उल्लास को समझ आ गया था कि ऐसे लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए !
सीख – आज के जमाने में लोगों का कितना भी भला कर लो आखिर लोग आपको धोखा ही देगा। आज के युग में कौन इंसान याद करता है। इसलिए सोच-समझकर ही काम करना चाहिए !