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आज की कहानी: मौन और मुस्कान की सफलता

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मैं मौत सेठ के बारे में बहुत तो नहीं जानता, पर इतना तो जानता ही हूँ कि वह पहले से ही सेठ नहीं था। वह तो एक गरीब आदमी था, जुन्नु उसका नाम था।
जुन्नु हमेशा झन्नाया रहता। बिना बात का झगड़ा करना तो उसके स्वभाव में ही था। किसी ने पूछ लिया कि मन्नू भाई टाइम क्या हुआ होगा? तो झनन झनझना जाता और कहता- यह घड़ी तेरे बाप ने ले कर दी है? यहाँ टाईम पहले ही खराब चल रहा है, तू और आ गया मेरा टाइम खाने। भाग यहाँ से।
अब ऐसे आदमी के साथ कौन काम करें? न उसके पास कोई ग्राहक टिकता, न नौकर। यही कारण था कि वो जो भी काम करता था, उसमें उसे नुकसान ही होता था।
कहते हैं कि एक संत एक बार जुन्नु के पास से गुजरे। वे कभी किसी से कुछ माँगते नहीं थे, पर न मालूम उनके मन में क्या आया, सीधे जुन्नु के सामने आ खड़े हुए। बोले- बेटा! संत को भोजन करा देगा?
अब झन्नु तो झन्नु ही ठहरा। झल्ला कर बोला- मैं खुद भूखे मर रहा हूँ, तुं और आ गया। चल चल अपना काम कर।
संत मुस्कुराए और बोले- मैं तो अपना काम ही कर रहा हूँ, बिल्कुल सही से कर रहा हूँ। तुम ही अपना काम सही से नहीं कर रहे।
जुन्नु झटका खा गया। ऐसे ऐसे उत्तर की उम्मीद नहीं थी। पूछने लगा- क्या मतलब?
संत उसके पास बैठ गए। बोले- बेटा! मालूम है तुम्हारा नाम जुन्नु क्यों है? क्योंकि झल्लाया रहना और नुकसान उठाना, यही तुम करते आए हो।
अगर तुम अपना स्वभाव बदल लो, तो तुम्हारा जीवन बदल सकता है। मेरी बात मानो तो चाहे कुछ भी हो जाए, खुश रहा करो।

चुन्नू बोला- महाराज! खुश कैसे रहूं? मेरा तो नसीब ही खराब है।
संत बोले- खुशनसीब वो नहीं जिसका नसीब अच्छा है, खुशनसीब वह है जो अपने नसीब से खुश है। तुम खुश रहने लगे तो नसीब बदल भी सकता है। तुम नहीं जानते कि कामयाब आदमी खुश रहे न रहे, पर खुश रहने वाला एक ना एक दिन कामयाब जरूर होता है।
चुन्नू बोला- महाराज! दुनिया बड़ी खराब है और मेरा ढंग ही ऐसा है कि मुझसे झूठ बोला नहीं जाता।
संत बोले- झन्नू! झूठ नहीं बोल सकते पर चुप तो रह सकते हो? तुम दो सूत्र पकड़ लो। मौन और मुस्कान। मुस्कान समस्या का समाधान कर देती है। मौन समस्या का बाध कर देता है।
चाहे जो भी हो जाए, तुम चुप रहा करो, और मुस्कुराया करो। फिर देखो क्या होगा?
जुन्नु को संत की बात जंच गई। और भगवान की कृपा से उसका स्वभाव और भाग्य दोनों बदल गए। फल क्या मिला? समय बदल गया, झन्नु मौन और मुस्कान के सहारे चलते चलते रामु सेठ बन गया।

आप टेलिविज़न नहीं हैं जो आपका रिमोट दूसरे के हाथ रहे। वह चाहे तो आप हमें, वह चाहे तो रोएँ। हमारा चेहरा हमारा है। यह हंसेगा या रोएगा, इसका निर्णय दूसरा क्यों करें? अभी निर्णय करो, कि चाहे कुछ भी क्यों न हो जाए, हम सदा मुस्कुराएँगे। तब दुनिया में कोई भी आपके चेहरे की मुस्कान न छीन पाएगा। याद रहे-
“गुजरी हुई जिंदगी को कभी याद ना कर,
तकदीर में जो नहीं तो फ़रियाद ना कर।
जो होना होगा वो होकर ही रहेगा,
कल की फिक्र में आज हंसी बर्बाद ना कर॥”

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