( नेशनल थोट्स ) एक छोटे से गाँव में एक प्राचीन मंदिर था। मंदिर की सबसे खास बात थी उसकी विशाल घंटी। माना जाता था कि इस घंटी को ईमानदारी से और शुद्ध मन से कोई भी व्यक्ति बजाए, तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी हो जाती है।
गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उसके पास केवल एक ही बैल था, जिसकी मदद से वह अपनी खेती करता था। एक दिन, दुर्भाग्य से उसका बैल खो गया। किसान बहुत परेशान था। उसके पास खेती करने का कोई साधन नहीं बचा था।
उसने सुना था कि मंदिर की घंटी बहुत चमत्कारी है। इसलिए, वह मंदिर गया और घंटी को बजाने लगा। उसने ईमानदारी से प्रार्थना की कि उसका खोया हुआ बैल वापस मिल जाए।
कुछ दिनों बाद, खेत में काम करते समय, किसान को दूर से कुछ आता हुआ दिखाई दिया। पास आने पर उसने देखा कि वही उसका खोया हुआ बैल है! बैल अपने आप ही वापस आ गया था। किसान बहुत खुश हुआ।
वह फिर से मंदिर गया और घंटी को धन्यवाद देने के लिए बजाया। उसने कहा, “हे ईश्वर, आपने मेरी मनोकामना पूरी कर दी। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!”
मंदिर के पुजारी ने देखा कि किसान घंटी बजा रहा है और उससे पूछा, “आप फिर से घंटी क्यों बजा रहे हो?”
किसान ने बताया कि उसका खोया हुआ बैल वापस आ गया है। पुजारी मुस्कुराया और कहा, “बेटा, तुम्हारा बैल इसलिए वापस आया क्योंकि तुमने ईमानदारी से मेहनत की थी। घंटी ने तुम्हारी मेहनत का फल जल्दी दिला दिया।”
सीख
यह कहानी हमें यह सीख देती है कि ईश्वर उन लोगों की मदद करता है जो मेहनत करते हैं (Ishwar Un Logon Ki Madad Karta Hai Jo Mehnat Karte Hain). हमें किसी चमत्कार के भरोसे नहीं बैठना चाहिए, बल्कि कड़ी मेहनत करनी चाहिए और अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास करना चाहिए।