एक समय की बात हैं । विजयनगर साम्राज्य में कृष्ण देवराय नाम के राजा हुआ करते थे । उन्ही के दरबार में राजा का तेनाली रामा नाम का एक बुद्धिमान सलाहकार थे । तेनाली रामा बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति थे ।
एक बार राजा का दरबार रोज़ की तरह लगा हुआ था । उनके दरबार में एक सुंदर महिला 4 लोगों के साथ आती हैं । उनके हाथमें एक बक्सा होता हैं । इसके बाद महिला राजा से कहती हैं, “मैं दूसरे राज्य से आयी हूँ! मेरे पास कुछ साड़ियां हैं जिसे हमने बनाया हैं । क्या मैं आपको दिखा सकती हूँ ? ” राजा ने उत्सुक भाव से महिला को साड़ी दिखाने की आज्ञा दे दी
इसके बाद महिला ने बक्सा खोला और उसमे से मखमली साड़ियां निकालकर दिखाने लगी । साड़ियां इतनी सूंदर थी कि जिसने भी साड़ी देखीं वो हैरान हो गया । सभी दरबारियों और राजा को साड़ी बहुत पसंद आयी । इसके बाद महिला कहती हैं, “महाराज! मुझे और मेरे कारीगरों को गुप्त कलाओं से बुनाई करने का हुनर हैं । यदि आप हमें धन दें तो मैं आपके लिए इन साड़ियों से भी 10 गुना अच्छी एक अनोखी साड़ी बना दूंगी । ऐसी साड़ी जिसकी कल्पना करना भी असम्भव हैं ।”
जब राजा ने अनोखी साड़ी का सुना तो जिनकी जिज्ञासा साड़ी के लिए बढ़ गयी । राजा ने महिला को धन दे दिया । महिला ने साड़ी बनाने के लिए एक वर्ष का समय और राजा के महल में एक गुप्त स्थान माँगा, जहाँ बैठकर वे साड़ी की बुनाई कर सकें । इसके बाद महिला और उसके कारीगरों ने साड़ी की बुनाई शुरू करदी । समय गुजरता गया। महिला और कारीगरों के खाने पिने से लेकर तमाम जरूरतों के खर्चे राजमहल ही उठा रहा था ।
समय गुजरता गया और देखते ही देखते 1 वर्ष का समय पूरा हो गया । राजा ने कुछ मंत्रियों को अनोखी साड़ी देखने के लिए महिला के पास भेजा । जब मंत्रीगण बुनाई वाले स्थान पर गए तो उन्होंने देखा कि सभी कारीगर कुछ बुन रहे थे लेकिन न उनके हाथमें कोई धागा था ना ही कोई साड़ी दिखाई दे रही थी, वें सिर्फ हाथमें सुई लिए हाथ को बुनाई करने की तरह चला रहे थे ।
मंत्रीगणों ने महिला से हैरान होकर पूछा, “वह अनोखी साड़ी कहाँ हैं ? हमें राजा ने भेजा हैं ये पता करने की साड़ी की बुनाई पूरी हुई या नहीं । पर लगता हैं कि आपने तो साड़ी की बुनाई शुरू ही नहीं की !”
महिला ने बड़े ही आराम से जवाब दिया, “यह एक बेहद ही अनोखी साड़ी हैं ! यह साड़ी सिर्फ़ उन्हीं लोगों को नज़र आती हैं जिन्होंने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला और जिन्होंने कभी पाप नहीं किया हैं ।”
महिला की बात सुनकर एक मंत्री बोला, “मुझे तो साड़ी साफ़ साफ़ दिखाई दे रही हैं ।” इसके बाद यहां आये सभी मंत्रियों ने हां में हाँ मिला दी की उन्हें साड़ी दिखाई दे रही हैं साथ ही साड़ी बहुत सूंदर हैं ।
महिला ने मात्रियों से कहा, “साड़ी की बुनाई का कार्य बस पूरा होने ही वाला हैं । कल में साड़ी को दरबार में लाकर राजा को दिखा दूंगी ।”
सभी मंत्रीगण राजा के पास वापस गए और उन्होंने साड़ी के बारे में कहा, “साड़ी बेहद ही सूंदर हैं महाराज! ऐसी साड़ी तो मैंने जीवन में कभी नहीं देखी ।” यह सुनकर राजा की जिज्ञासा साड़ी को देखने के लिए और बढ़ गयी ।
अगले दिन दरबार में महिला आती हैं । दरबार में सभी दरबारी, मंत्री, और राजा सहित तेनाली रामा उपस्तिथ थे । महिला साड़ी को बक्सें से बाहर निकालने से पहले राजा से कहती हैं, “महाराज! मैंने आपके लिए एक बेहद ही अनोखी साड़ी बना दी हैं और मैं आशा करती हूँ की आप इस साड़ी को देखकर मुझे इनाम अवश्य देंगे । मगर यह साड़ी सबसे अनोखी इसलिए हैं क्योंकि यह साड़ी सिर्फ़ उन ही लोगों को दिखाई देगी जिन्होंने जीवन में न तो कभी झूठ बोला हैं और ना कभी कोई पाप किया हैं ।”
इसके बाद महिला बक्सें को खोलती हैं और एक साड़ी को बाहर निकालती हैं । वह साड़ी दरबार में बैठे किसी भी इंसान को नज़र नहीं आ रही थी । कुछ दरबारियों को ये डर था कि अगर किसी पाप नहीं करने वालें इंसान को साड़ी नज़र आ गयी तो उनके सामने हम पापी हो जायेंगे, इसलिए इन लोगों ने जोरसे कहना शुरू कर दिया कि वाह कितनी सुंदर साड़ी हैं! इतनी अनोखी साड़ी मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखी ।
राजा का बहुत मन था अनोखी साड़ी देखने का मगर उन्हें भी कुछ नज़र नहीं आ रहा था । तेनाली रामा ये सब तमाशा देख रहे थे । वे राजा के कान में आकर कहते हैं, “महाराज यह महिला झूठ बोल रही हैं ।” राजा को भी पता होता कि महिला झूठ बोल रही हैं लेकिन वे इस दुविधा में थे कि अब अगर उन्होंने दरबार में ये कह दिया कि उन्हें भी साड़ी दिखाई नहीं दे रही इसका मतलब होगा कि राजा ने अपने जीवन में कभी न कभी झूठ बोला हैं और वें पापी भी हैं ।
राजा ने अपनी दुविधा तेनाली रामा को बता दी । तेनाली रामा ने कहाँ बस इतनी सी बात हैं, मैं अभी आपको इस दुविधा से बाहर निकाल देता हूँ । इतना कहकर तेनाली रामा ने महिला से ऊँची आवाज में कहाँ, “अद्बुध! आपने बहुत ही अनोखी साड़ी का निर्माण किया हैं । अब मेरे राजा चाहते हैं आप इस साड़ी को स्वयं पहनकर हमारे राजा को दिखाए ।”
तेनाली रामा की बात सुनकर महिला की बोलती बंद हो गयी और माथे पर पसीना आ गया । महिला को कुछ भी नहीं समझ आया कि अब वह क्या करें । फिर महिला ने राजा के पैर पकड़ लिए और सब कुछ सच बताकर माफ़ी मांगने लगी । राजा ने महिला को जेल भेज दिया ।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती हैं कि कितना भी झूठ बोल लिया जाये लेकिन सच कभी न कभी सामने आ ही जाता हैं ।