एक बड़ी सी नदी के किनारे कुछ पेड़ थे जिसकी टहनियां नदी के धारा के ऊपर तक भी फैली हुई थीं। एक दिन एक चिड़ियों का परिवार अपने लिए घोंसले की तलाश में भटकते हुए उस नदी के किनारे पहुंच गया। चिड़ियों ने एक अच्छा सा पेड़ देखा और उससे पूछा, हम सब काफी समय से अपने लिए एक नया मजबूत घर बनाने के लिए वृक्ष तलाश रहे हैं
चिड़ियों को पेड़ का इंकार बहुत बुरा लगा, वे उसे भला-बुरा कह कर सामने ही एक दूसरे पेड़ के पास चली गयीं। उस पेड़ से भी उन्होंने घोंसला बनाने की अनुमति मांगी। इस बार पेड़ आसानी से तैयार हो गया और उन्हें ख़ुशी-ख़ुशी वहां रहने की अनुमति दे दी। चिड़िया का घोंसला चिड़ियों ने उस पेड़ की खूब प्रशंसा की और अपना घोंसला बना कर वहां रहने लगीं।
समय बीता बरसात का मौसम शुरू हो गया। इस बार की बारिश भयानक थी नदियों में बाढ़ आ गयी नदी अपने तेज प्रवाह से मिटटी काटते-काटते और चौड़ी हो गयी और एक दिन तो ईतनी बारिश हुई कि नदी में बाढ़ सा आ गयी तमाम पेड़-पौधे अपनी जड़ों से उखड़ कर नदी में बहने लगे। और इन पेड़ों में वह पहला वाला पेड़ भी शामिल था जिसने उस चिड़ियों को अपनी शाखा पर घोंसला बनाने की अनुमति नही दी थी।
उसे जड़ों सहित उखड़कर नदी में बहता देख चिड़ियों कर परिवार खुश हो गया, मानो कुदरत ने पेड़ से उनका बदला ले लिया हो। चिड़ियों ने पेड़ की तरफ उपेक्षा भरी नज़रों से देखा और कहा, एक समय जब हम तुम्हारे पास अपने लिए मदद मांगने आये थे तो तुमने साफ इनकार कर दिया था, अब देखो तुम्हारे इसी स्वभाव के कारण तुम्हारी यह दशा हो गई है।
इसपर इस पेड़ ने मुस्कुराते हुए उन चिड़िया से कहा मैं जानता था कि मेरी उम्र हो चली है और इस बरसात के मौसम में मेरी कमजोर पड़ चुकी जडें टिक नहीं पाएंगी और मात्र यही कारण था कि मैंने तुम्हें इंकार कर दिया था क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से तुम्हारे ऊपर विपत्ति आये।
फिर भी तुम्हारा दिल दुखाने के लिए मुझे क्षमा करना और ऐसा कहते-कहते पेड़ पानी में बह गया। चिड़ियाँ अब अपने व्यवहार पर पछताने के अलावा कुछ नही कर सकती थीं। बंधुओ,अक्सर हम दूसरों के रूखे व्यवहार का बुरा मान जाते हैं, लेकिन कई बार इसी तरह के व्यवहार में हमारा हित छुपा होता है।