एक दिन गुरुजी ने अपने तीन शिष्यों को बुलाया और तीनो को आदेश दिया कि एक एक थैला ले कर बगीचे में जाएं और वहां से दो घंटे में अच्छे अच्छे फल जमा करके लाए, वो तीनो अलग अलग बाग़ में प्रविष्ट हो गए…
पहले शिष्य ने कोशिश की के गुरुजी के लिए उसकी पसंद के अच्छे अच्छे और मज़ेदार फल जमा किया जाएँ, उस ने काफी मेहनत के बाद बढ़िया और ताज़ा फलों से थैला भर लिया…
दूसरे शिष्य ने सोचा कि गुरुजी हर फल का परीक्षण तो करेंगे नहीं इसलिए उसने जल्दी जल्दी थैला भरने में ताज़ा, कच्चे, गले सड़े फल भी थैले में भर लिए…
तीसरे शिष्य ने सोचा कि गुरुजी की नज़र तो सिर्फ भरे हुऐ थैले की तरफ होगी, वो खोल कर देखेंगे भी नहीं कि इसमें क्या है, उसने समय बचाने के लिए जल्दी जल्दी इसमें घास और पत्ते भर लिए और वक़्त बचाया…
दो घंटों के बाद गुरुजी ने तीनों शिष्यों को उनके थैलों समेत बुलाया और उनके थैले खोल कर भी नही देखे और आदेश दिया कि तीनों को उनके थैलों समेत तीन कुटिया में 15 दिन के लिए अकेला छोड़ दिया जाए…
अब तीनो के पास कुटीर में पानी के अलावा कुछ भी नहीं था सिवाए उन थैलों के, तो जिस शिष्य ने अच्छे अच्छे फल जमा किये वो तो मज़े से खाता रहा और 15 दिन आराम से गुज़र गए, फिर दूसरा शिष्य जिसने ताज़ा, कच्चे, गले सड़े फल जमा किये थे, वह कुछ दिन तो ताज़ा फल खाता रहा फिर उसे ख़राब फल खाने पड़े, जिस से वो बीमार हो गया और बहुत तकलीफ उठानी पड़ी और तीसरा शिष्य जिसने थैले में सिर्फ घास और पत्ते जमा किये थे, वो 15 दिनो पानी पी कर भूख से गुजारा…
अब आप अपने आप से पूछिए कि आप क्या जमा कर रहे हो ?? हम सब इस समय जीवन के बाग़ में हैं, जहाँ चाहें तो अच्छे कर्म जमा करें चाहें तो बुरे कर्म, मगर याद रहे जो हम जमा करेंगे वही हमें आखरी समय काम आयेगा क्योंकि ईश्वर हमें चारों ओर से देख रहा है…