यथा खनन् खनित्रेण नरो वार्यधिगच्छति।
तथा गुरुगतां विद्यां शुश्रूषुरधिच्छति ॥जैसे खोदने वाला फावड़ा, कुदाल आदि से खोदने के द्वारा पानी को प्राप्त कर लेता है वैसे ही सेवा करने वाला शिष्य गुरु से विद्या को प्राप्त कर पाता है ।
Just as a digger gets water by digging with spade, hoe etc., similarly a disciple who does service gets knowledge from the Guru.