लखनऊ: आगामी उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के बीच पुनः बढ़ी हुई नजदीकियों के कारण पार्टी ने एक नई रणनीति तैयार की है। आम चुनाव में संघ और भाजपा नेताओं के बीच मनमुटाव ने चुनाव परिणामों पर नकारात्मक प्रभाव डाला था, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा की स्थिति कमजोर रही थी।
चुनाव परिणामों के बाद, भाजपा आलाकमान को यह अहसास हुआ कि संघ की अहमियत को कम आंकना एक बड़ी भूल थी। इसके परिणामस्वरूप, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने संघ के साथ पुनः संबंध स्थापित करने में देरी नहीं की। इसके फलस्वरूप, हरियाणा में भाजपा को अप्रत्याशित जीत मिली। अब संघ की नजर उत्तर प्रदेश के उपचुनावों और महाराष्ट्र एवं झारखंड पर टिकी हुई है।
यूपी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को सभी 9 सीटों पर जीत दिलाने के लिए संघ परिवार ने संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में बूथवार संघ कार्यकर्ताओं की टोलियां बनाई हैं। ये टोलियां भाजपा की जीत के लिए जमीन तैयार कर रही हैं, जबकि भाजपा के कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं। ये कार्यकर्ता जातियों में बंटे हिंदू समाज को राष्ट्रहित का पाठ पढ़ाने में लगे हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “बंटेंगे तो कटेंगे” के नारे का अर्थ भी समझा रहे हैं।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान के बाद संघ की सक्रियता ठहर गई थी, जिससे हिंदुत्व का एजेंडा कमजोर पड़ा और हिंदू जातियां बिखर गईं। भाजपा के वोटर घरों से वोट डालने नहीं निकले, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ। अब भाजपा ने यह समझ लिया है कि यूपी में उपचुनाव और अन्य राज्यों में चुनावों में संघ की मदद के बिना सफलता नहीं मिलेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संघ का चहेता माना जाता है, जिसके कारण संघ ने अब सीएम के नारे को आधार बनाकर भाजपा के लिए जमीन मजबूत करने में जुट गया है। भाजपा के पक्ष में जनमत तैयार करने के लिए बड़े पैमाने पर संपर्क कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। संघ ने उपचुनाव वाली सभी 10 विधानसभा सीटों के लिए टोलियां तैयार की हैं, भले ही चुनाव केवल 9 सीटों पर हो रहे हों।
संघ की टोलियां छोटे-छोटे समूहों के साथ बैठकें कर रही हैं, लेकिन सीधे तौर पर भाजपा का समर्थन नहीं कर रही हैं। इसके बजाय, ये राष्ट्रहित, हिंदुत्व, सुशासन, विकास, लोक कल्याण और स्थानीय मुद्दों पर गहन चर्चा कर रही हैं। भाजपा नेता भी संघ की इस सक्रियता से गदगद हैं और अबकी बार सभी 9 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं।
इस प्रकार, संघ और भाजपा के बीच बढ़ती नजदीकियां उपचुनाव में भाजपा की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती हैं।