राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का दर्द अक्सर उनके बयानों और सोशल मीडिया पोस्टों में झलकता है, जो स्पष्ट रूप से उनके मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद के असंतोष को दर्शाता है। जब भाजपा आलाकमान ने पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा को राजस्थान की कमान सौंप दी और वसुंधरा राजे को दरकिनार कर दिया, तब से वह इस निर्णय से नाखुश नजर आ रही हैं।
वसुंधरा राजे के बयानों पर ध्यान दें तो यह साफ है कि वह भाजपा आलाकमान को संदेश देना चाहती हैं कि उनका भी राजनीतिक पुनर्वास किया जाए। हालांकि, हैरानी की बात यह है कि भाजपा आलाकमान उनके बयानों को ज्यादा महत्व नहीं दे रहा है। शिवराज सिंह चौहान, जिन्हें मध्य प्रदेश से हटाया गया था, अब केंद्रीय मंत्री बनाकर उनका कद बढ़ा दिया गया है, लेकिन वसुंधरा राजे को अब तक कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं दी गई है।
वसुंधरा राजे ने हाल ही में बिना किसी का नाम लिए कटाक्ष किया कि कुछ लोग पीतल की लौंग मिलने पर भी खुद को सर्राफ समझने लगते हैं। उन्होंने कहा, “चाहत बेशक आसमां छूने की रखो, लेकिन पांव हमेशा जमीन पर रखो।” यह बयान उन्होंने सिक्किम के नवनियुक्त राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर के नागरिक अभिनन्दन कार्यक्रम में दिया था।
ओमप्रकाश माथुर की प्रशंसा करते हुए वसुंधरा ने कहा कि माथुर चाहे कितनी ही बुलंदियों पर पहुंचें, लेकिन उनके पैर सदा जमीन पर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई लोग पीतल की लौंग पाकर खुद को सर्राफ समझने लगते हैं, लेकिन उन्हें ओम माथुर से सीख लेनी चाहिए कि “चाहत बेशक आसमां छूने की रखो, पर पांव हमेशा जमीन पर रखो।”
हाल ही में वसुंधरा राजे ने ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था, “काश ऐसी बारिश आए, जिसमें अहम डूब जाए, मतभेद के किले ढह जाएं, घमंड चूर-चूर हो जाए, गुस्से के पहाड़ पिघल जाएं, नफरत हमेशा के लिए दफ़न हो जाए और सबके सब, मैं से हम हो जाएं।” इसके पहले भी वसुंधरा ने राजनीति को उतार-चढ़ाव का दूसरा नाम बताते हुए कहा था कि संगठन में सबको साथ लेकर चलना मुश्किल काम है, और पद और मद स्थाई नहीं होते, लेकिन कद स्थाई होता है।
वसुंधरा राजे का यह असंतोष तब से चल रहा है जब भाजपा ने पिछले साल विधानसभा चुनावों के दौरान उन्हें किनारे कर दिया था। भाजपा ने उन्हें परिवर्तन यात्राओं की कमान नहीं सौंपी थी, न ही उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया था। चुनाव परिणाम के बाद भी, नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्हें दिल्ली बुलाया गया और फिर विधायक दल की बैठक में उनसे ही भजन लाल शर्मा के नाम का ऐलान मुख्यमंत्री पद के लिए करवा दिया गया।
इस सबके बावजूद, वसुंधरा राजे का यह मानना है कि उनका राजनीतिक पुनर्वास होना चाहिए और वह अपने बयानों के माध्यम से यह संदेश देना चाहती हैं।