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वैदिक सुविचार

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कट्वम्ललवणात्युष्णतीक्ष्णरूक्षविदाहिनः।
आहारा राजसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः ॥

गीता 17.9

कड़वे, खट्टे, नमकीन, अत्युष्ण, तीक्ष्ण, रूक्ष दाह, जलन उत्पन्न करने वाले नमक, मिर्च, मसाले, इमली, अचार आदि से युक्त चटपटे भोजन राजसिक हैं । इनके सेवन से मनुष्य की वृत्ति चंचल हो जाती है । नाना प्रकार के रोगों से ग्रस्त होकर व्यक्ति विविध दुःखों का उपभोग करता है।

Bitter, sour, salty, extremely hot, pungent, dry, burning, spicy foods like salt, chilli, spices, tamarind, pickles etc. are Rajsik. On consumption of these foods, human nature becomes fickle and a person experiences various sorrows falling prey to several kinds of diseases.

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