द्वेषः कस्य न दोषाय , प्रीतिः कस्य न भूतये।
दर्पः कस्य न पाताय , उन्नत्यै कस्य न नम्रता।द्वेष करने से किसमें दोष नहीं आता ?
प्रेम करने से किसकी उन्नति नहीं होती ?
अभिमान करने से किसका पतन नहीं होता ? और नम्रता से किसकी उन्नति नहीं होती ?
दर्पः कस्य न पाताय , उन्नत्यै कस्य न नम्रता।द्वेष करने से किसमें दोष नहीं आता ?
प्रेम करने से किसकी उन्नति नहीं होती ?
अभिमान करने से किसका पतन नहीं होता ? और नम्रता से किसकी उन्नति नहीं होती ?
Who doesn’t get blamed for having hatred?*
Who doesn’t progress by loving?
Who doesn’t fall due to pride?
And who is not progressed by humility?