ओ३म् नृचक्षसो अनिमिषन्तो अर्हणा अमृतत्वमानशुः।
ज्योतीरथा अहिमाया अनागसो दिवो वर्ष्माणं वसते स्वस्तये॥
ऋग्वेद-१०.६३.४
वह परमेश्वर मनुष्यों के कर्मों का विधिवत रूप से निरीक्षण करने वाले एवं कभी आंखें न मींचने वाले हैं। वह हमारे लिए कल्याण की वृष्टि करने वाले हैं। जिस प्रकार धर्मात्मा विद्वान् लोगों ने अपनी योग्यता से महान अमर पद को प्राप्त किया है, जो ज्ञान रूपी रथ पर चढ़कर सर्वत्र प्रभुत्व उत्पन्न करते हुए, अदम्य साहस, बुद्धि और न्याय से सुशोभित होकर, पाप से रहित होकर उच्च स्थान यानि मोक्ष में निवास करते हैं, वही अमर पद प्राप्त करने के लिए हम सभी को प्रयत्न करना चाहिए।
That God duly inspects the actions of human beings and never blinks an eye. He always showers prosperity on us. Just as the pious and learned people have attained great immortal status by their merit, similarly the who rides on the chariot of knowledge and is adorned with indomitable courage, intelligence and justice, being free from sin, attains the highest place i.e.salvation. We all should strive to attain that immortal status.