अग्निवासा पृथिव्यसितज्ञूस्त्विषीमन्तं संशितं मा कृणोतु।।२१।।
अथर्व०१२/१/२१
हे ईश्वर! जिस प्रकार इस भूमि में सर्वत्र रूप से अग्नि व्याप्त है उसी प्रकार हमारे जीवन में ज्ञान, बल, शौर्य एवं तेजस्विता रूपी गुण के वास के लिए अनुकम्पा करें।
O God ! Just as fire is prevalent everywhere in this land, similarly please bless us for the presence of qualities like knowledge, strength, bravery and brilliance in our lives.