बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
(ऋ.७.५९.१२)
हे सर्वज्ञ प्रभो! मैं मृत्यु के बन्धन से छूट जाऊँ परन्तु मोक्ष प्राप्ति की कामना से कभी विरत न होऊंँ।
O omniscient Lord ! I may be freed from the bondage of death but I should never stop wishing to attain salvation.