ओं विश्वे॑ दे॒वा नो॑ अ॒द्या स्व॒स्तये॑ वैश्वान॒रो वसु॑र॒ग्निः स्व॒स्तये॑ ।
दे॒वा अ॑वन्त्वृभवः॑ स्व॒स्तये॑ स्व॒स्ति नो॑ रु॒द्रः पा॒त्वंह॑सः।।
ऋ० ५।५१।१३
हे प्रभो ! सब ज्ञानी जन हमें कल्याण का उपदेश दें। वैश्वानर, वसु, आहार का पाचक अग्नि हमारे लिए कल्याणकारी हो। स्वरूप से प्रकाश धर्म वाले अग्नि, विद्युत्, सूर्यरूपी दिव्य शक्तियां कल्याण के लिए हमारी रक्षा करें और परमात्मा का रुद्र (कठोर) रूप भी कल्याण के लिए हमारी रक्षा करे।
O Lord ! May all the wise men protect us. May the fire be beneficial to us. May the divine powers in the form of fire, electricity, sun etc., protect us for our welfare. May the ‘Rudra’ form of God also protect us for our welfare.