सध्रीचीनान् वः संमनसस्कृणोम्ये कश्नुष्टीन्त्संवननेन सर्वान्।
देवा इवामृतं रक्षमाणाः सायंप्रातः सौमनसो वो अस्तु।।
अथर्ववेद 3.30.7
हे मानव ! तुम लोग नेक नियति से परिपूर्ण होकर, भेद-भाव से रहित होकर एक साथ सत्य मार्ग पर और सही दिशा की ओर चलो। तुम सभी उत्तम विचारों के साथ परस्पर सामंजस्य प्रस्थापित करों। अपने तेज, वीर्य और धर्म की रक्षा करते हुए देवों की तरह, प्रत्येक क्षण तुम लोगों का मन एक साथ रहे।
O human beings ! You all, filled with good intentions and free from all discrimination, should walk together on the path of truth and in the right direction. May you all propose mutual harmony with good thoughts. May your minds remain united at every moment, protecting your brilliance, celibacy and Dharma.