बड़ी कंपनियों और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से वेंडरों को किया जा रहा है परेशान
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बेरोजगारी के संकट से जूझ रहे हैं रेलवे के लाखों वेंडर
नई दिल्ली, । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां एक तरफ ‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा देकर देश की गरीबी दूर करने के प्रयास में जुटे हैं, वहीं दूसरी तरफ रेलवे के कुछ अधिकारियों के तुगलकी फरमानों के कारण रेलवे के सहारे जीवन-यापन कर रहे देश के लाखों गरीब परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट आ गया है।
रेलवे खान-पान वेंडरों की समस्याओं को लेकर लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे है …
अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसीज वेलफेयर एसोसियेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवीन्द्र गुप्ता ने कहा कि यह मुद्दा हाल ही समाप्त हुए संसद के बजट सत्र में भी उठाया गया था, इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने बताया देश भर के रेलवे प्लेटफार्मों पर खाने-पीने का सामान बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले लाखों वंेडर आज भुखमरी के कगार आ चुके हैं। पहले कोरोना के कारण रोजगार चौपट हुआ और अब रेलवे की नीतियों के कारण वे बदहाली का जीवन जीने को मजबूर हो रहे हैं।
रवींद्र गुप्ता ने बताया कि वेंडरों के पुराने लाइसेंसों के नवीनीकरण में……
बाधा पैदा की जा रही है। भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से नये नियम-कानूनों और फरमानों की आड़ में वेंडरों के रोजगार को छीनकर बड़ी फर्मों और कंपनियों को सौंपा जा रहा है। अगर किसी वेंडर के पास चार लाइसेंस है, तो उससे कहा जा रहा है कि तीन लाइसेंस छोड़ना पडेगा। रेलवे वेंडर जो सामान बेचते हैं, उसपर 18 प्रतिशत जीएसटी भरते हैं, इसके बावजूद रेलवे भी 18 प्रतिशत जीएसटी लेता है। इस प्रकार वेंडर 36 प्रतिशत जीएसटी भरने को मजबूर हैं, जो कि पूरी तरह गलत और अमानवीय है।
उन्होंने बताया कि वेंडरों को बेरोजगार करने के लिये रेलवे के भ्रष्ट अधिकारी हर तरफ से फंदा कस रहे हैं। हर साल लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क में 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी जाती है, इसे बंद किया जाना चाहिये। लाइसेंस फीस पहले 12 प्रतिशत थी, अब इसमें जीडीपी का फार्मूला जोड़कर बढ़ा दिया गया है, इसे समाप्त किया जाना चाहये।
लगातार सरकार से मांग कर रहे है कि वेंडरों को आर्थिक सहायता दी जाये…….
उन्होंने कहा कि कोविड के कारण इन वेंडरों का रोजगार पूरी तरह बंद रहा। सरकार से हम लगातार मांग कर रहे है कि वेंडरों को कम से कम 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाये, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई हुई है। रवींद्र गुप्ता ने कहा कि लाइसेंस वेंडरों द्वारा उत्तराधिकारी नामित करने की पुरानी व्यवस्था बहाल की जानी चाहिये, क्योंकि नयी व्यवस्था के तहत उत्तराधिकारी को लाइसेंस देने में चार-पांच साल का समय लग जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्लेटफॉर्मों पर कॉमर्शियल गैस सिलिंडरों के इस्तेमाल की अनुमति मिलनी चाहिये और पैक्ड एवं रेडीमेड खाद्य पदार्थों की दर बढ़ायी जानी चाहिये। वेंडरों को बाजार दर बिजली का बिल चार्ज किया जाये और पीओएस तथा स्वाइप की अनिवार्यता को समाप्त किया जाना चाहिये।
वेंडरों के स्टॉल्स का रिनोवेशन किया जाये….
रविन्द्र गुप्ता ने बताया कि रेलवे वेंडरों की इन समस्याओं को हाल ही में समाप्त हुए बजट सत्र के दौरान शिवसेना सांसद विनायक भाऊराव राउत ने भी उठाया था,लेकिन रेलवे की तरफ से अभी तक कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने बताया कि हम अपनी समस्याओं को लेकर रेल मंत्री को एक ज्ञापन भीसौंपने वाले हैं। अगर हमारी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान नहीं हुआ तो जल्द ही आगे की रणनीति तय की जायेगी।