भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश में तेजी से हो रहे धर्मांतरण पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया हमारे मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है। कई राज्यों की जनसंख्या संरचना में परिवर्तन की ओर इशारा करते हुए, उन्होंने कहा कि धर्मांतरण और घुसपैठ के कारण भारत के 9 राज्यों, 200 जिलों और 1500 तहसीलों की डेमोग्राफी बदल चुकी है।
धनखड़ ने कहा कि समाज के कमजोर वर्गों, विशेषकर आदिवासियों को निशाना बनाकर उन्हें प्रलोभित किया जा रहा है। उन्होंने इसे “नीतिगत, संस्थागत और सुनियोजित साजिश” करार दिया। उनका कहना था कि ऐसे मामलों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
धनखड़ ने उल्लेख किया कि देश की कई अदालतों ने धर्मांतरण के मामलों पर गंभीर टिप्पणियाँ की हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने धर्मांतरण के एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि संविधान धर्म को मानने और प्रचारित करने का अधिकार देता है, लेकिन यह सामूहिक धर्म परिवर्तन का अधिकार नहीं बनता।
धनखड़ ने सवाल उठाया कि अदालतों की कड़ी टिप्पणियों के बावजूद धर्मांतरण विरोधी कानून क्यों नहीं बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि केवल “जागो हिंदू जागो” का आह्वान करने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि इसके लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
धनखड़ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि जो लोग सनातन धर्म को संकट मानते हैं, वे “मूर्खता के प्रतीक” हैं। उन्होंने कहा कि यह समय चुप रहने का नहीं है, बल्कि यह सदी भारत और सनातन धर्म की है।
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि हमारे संवैधानिक मूल्य सनातन धर्म से निकले हैं। संविधान की प्रस्तावना सनातन धर्म का सार दर्शाती है और यह समावेशी है। उन्होंने कहा कि आज भी हिंदू समाज में सेवा का भाव प्रबल है, जो कोविड संकट के दौरान भी स्पष्ट दिखाई दिया।