भारत और चीन के बीच पांच साल से जमी बर्फ अब पिघलती नजर आ रही है। दोनों देशों ने कैलाश-मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला किया है। यह निर्णय विदेश सचिव विक्रम मिस्री की चीन यात्रा के दौरान हुआ। यह बातचीत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लंबे समय से चल रहे सैन्य गतिरोध को खत्म करने के तीन महीने बाद हुई है।
यात्रा फिर शुरू करने पर सहमति
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मौजूदा समझौतों के तहत यात्रा को दोबारा शुरू करने के तौर-तरीकों पर चर्चा की जाएगी। कोविड-19 महामारी और गलवान संघर्ष के बाद से यात्रा स्थगित थी। यह फैसला दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की दिशा में बड़ा कदम है।
कैलाश-मानसरोवर यात्रा का महत्व
कैलाश-मानसरोवर हिंदू और बौद्ध धर्म में एक पवित्र तीर्थ स्थल है। इसमें कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की यात्रा शामिल है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि भारत-चीन संबंधों के लिए भी महत्वपूर्ण है। यात्रा का पुनः आरंभ दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और राजनीतिक सहयोग को मजबूत करेगा।
भारत-चीन के बीच नए समझौते
विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों पक्षों ने सीमा पार नदियों पर हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करने और सहयोग को फिर से शुरू करने पर भी सहमति जताई है। इसके साथ ही, सीधी उड़ानें बहाल करने और मीडिया तथा थिंक टैंक के बीच संपर्क बढ़ाने पर चर्चा हुई।
विक्रम मिस्री की दो दिवसीय चीन यात्रा
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने चीन की दो दिवसीय यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। भारत ने साफ किया है कि जब तक सीमा क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते। डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में गश्त गतिविधियों के फिर से शुरू होने से दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ाने की दिशा में कदम उठाया गया है।
आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा
दोनों देशों ने आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्रों में पारदर्शिता और दीर्घकालिक नीतियों को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत चर्चा की। यह कदम भारत-चीन संबंधों को नए स्तर पर ले जाने का संकेत है।
कैलाश-मानसरोवर यात्रा का पुनः आरंभ भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों को सुधारने में अहम भूमिका निभा सकता है। यह न केवल धार्मिक आस्था का सम्मान है, बल्कि दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग की दिशा में एक सकारात्मक संकेत भी है।