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We are promoting the universal motto of 'Vasudhaiva Kutumbakam - One Earth, One Family, One Future' : Shri Hardeep Singh Puri

‘वसुधैव कुटुम्बकम् – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की सार्वभौमिक ध्येय को प्रोत्साहन दे रहे हैं हम : श्री हरदीप सिंह पुरी

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केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने बेंगलुरू में आयोजित होने वाली भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत पर्यावरण और जलवायु निरंतरता कार्य-समूह की बैठक में आज वीडियो संदेश के माध्यम से जी-20 देशों, अतिथि देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों और अन्य गणमान्यों का स्वागत किया।

 

श्री पुरी ने दुख और संकट की इस विकट घड़ी में तुर्किये के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत, तुर्किये की पीड़ा समझ सकता है और वह हर संभव मानवीय एवं चिकित्सा सहयोग जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के लोग और राजनेता जिस तरह से तुर्किये की मदद कर रहे हैं, उससे पता चलता है कि मानवता ही वह ताकत है, जो हम सबको एक-दूसरे से जोड़ती है। श्री पुरी ने कहा कि प्रतिनिधिगण इसी भावना के तहत यहां एकत्र हुये हैं और जी-20 की इस वर्ष की विषयवस्तु ‘वसुधैव कुटुम्बकम् – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की सार्वभौमिक ध्येय को प्रोत्साहन दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब, पहले से भी ज्यादा जरूरी हो गया है कि हम एक-साथ आयें और कल्याण तथा समृद्धि को प्रोत्साहन देने वाले समावेशी, महत्त्वाकांक्षी और कार्योन्मुख एजेंडा के प्रति संकल्पित हों।

पहली पर्यावरण और जलवायु निरंतरता कार्य-समूह बैठक को सम्बोधित करते हुये श्री पुरी ने कहा कि उजाड़ होती जैव-विविधता और पर्यावरण के परिणामस्वरूप जीवन के हर पहलू में जटिलता बढ़ रही है तथा ज्यादा कीमत देनी पड़ रही है। जलवायु परिवर्तन और जैव-विविधता के नुकसान के बीच मौजूद आपसी मुद्दों का समाधान निकालने के लिये सोच-समझकर व एकजुटता के साथ वैश्विक प्रयास करने होंगे। इसके लिये जी-20 राष्ट्रों के प्रतिबद्ध और दूरंदेश नेतृत्व की जरूरत है, क्योंकि विश्व सकल घरेलू उत्पाद में इस समूह का मिला-जुला योगदान 85 प्रतिशत है। साथ ही वैश्विक व्यापार में इस समूह का हिस्सा 75 प्रतिशत है और विश्व की दो-तिहाई आबादी भी यहीं रहती है। खासतौर से ग्लोबल साउथ जी-20 संवाद की तरफ उम्मीद से देख रहा है और उसकी आकांक्षा है कि विकासशील देशों के लिये जलवायु संकट व ऋण संकट, दोनों की रोकथाम करने के लिये फौरन सहमति बनाई जाये।

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श्री पुरी ने कहा कि ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने में भारत की विशिष्‍ट स्थिति है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में भारत सरकार ने ‘जलवायु न्याय’ की पैरवी करने के लिये अनेक परिवर्तनशील कदम उठाये हैं। ग्लासगो में कॉप-26 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पंचामृत कार्य-योजना की जबरदस्त घोषणा में यह बात निहित है कि भारत 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन वाला देश बन जायेगा। किसी भी विकासशील देश द्वारा घोषित उत्सर्जन के शिखर से शुद्ध-शून्य स्तर तक पहुंचने की यह सबसे कम समयावधि है। श्री पुरी ने जोर देकर कहा कि भारत इस बात की मिसाल है जहां अर्थव्यवस्था और पारिस्थतिकी एक-दूसरे के प्रतिरोधी नहीं, बल्कि वास्तव में वे बुनियादी तौर पर एक-दूसरे से जुड़े हैं।

कार्य-समूह बैठक की महत्ता पर श्री पुरी ने कहा कि इस वर्ष का कार्य-समूह जी-20 देशों को शर्म-अल-शेख में कॉप-27 और इस वर्ष मॉन्ट्रियाल में जैव-विविधता सम्मेलन में की जाने वाली सिफारिशों पर आधारित ठोस रोड-मैप की अवधारणा तैयार करके उसे अंगीकार करने का अवसर देता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के मालिक होने की मानसिकता को उसका संरक्षक होने की मानसिकता में परिवर्तित करने में कार्य-समूह सहायक होगा।

 

चिरस्थायी जीवनशैली अपनाने के महत्त्व पर जोर देते हुये श्री पुरी ने कहा कि यह जानना बहुत उत्साहवर्धक है कि कार्य-समूह में तीन चिह्नित प्राथमिक क्षेत्रों पर चर्चा की जायेगी। ये सभी विषय ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवॉयरेन्मेंट’ (लाइफ) के बारे में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विचारों के अनुरूप हैं, जिसमें “पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिये अविवेकी व विध्वंसकारी खपत की जगह बुद्धिपूर्ण और विवेकपूर्ण उपयोग” पर बल दिया गया है।

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श्री पुरी ने कहा कि कार्य-समूह,  लाइफ आंदोलन के बुनियादी उसूलों को अपनाने में जी-20 देशों के लिये धुरी हो सकता है तथा वैश्विक पैमाने पर सतत जीवनशैली को प्रोत्साहित करने में सक्षम है। उसमें जलवायु परिवर्तन विषयक चर्चा में न्याय और निष्पक्षता से विचार करने की क्षमता है। वह जलवायु वित्तपोषण को गति देने तथा सहयोगात्मक कार्रवाईयों को संचालित करने के लिये पारस्परिक लाभकारी उपायों को दिशा दे सकता है।

 

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श्री पुरी ने विश्वास व्यक्त किया कि पर्यावरण और जलवायु निरंतरता कार्य-समूह की उद्घाटन बैठक के दौरान होने वाली चर्चाओं से मिलने वाले सामूहिक अनुभव व सबक जोरदार तथा कल्पनाशील रोडमैप बनाने में सहायक होंगे, जिसे जी-20 के शीर्ष नेतृत्व के साथ साझा किया जा सके।

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