You Must Grow
India Must Grow

NATIONAL THOUGHTS

A Web Portal Of Positive Journalism 

भगवान श्री राम की हनुमान जी से पहली मुलाकात कहां हुई थी?

Share This Post

सुंदरकांड में चौपाई आती है-

जिमि अमोघ रघुपति कर बाना।

एहि भाँति चलेउ हनुमाना।।

हनुमान जी भगवान राम के अमोघ बाण बन गए थे। ऐसे अचूक बाण जिसे भगवान श्री राम ने जिस भी लक्ष्य का संधान करने के लिए छोड़ा। ये अचूक बाण उस लक्ष्य को भेदकर ही वापस आया।

साथ ही यह भी विचारणीय है कि ऐसा हनुमान जी ने क्या किया था कि श्री राम जी ने उन्हें चुनकर अपने तरकश का अमोघ बाण बना लिया?

हनुमान जी के जीवन का एक अद्भुत इतिहास सामने आता है। श्री हनुमंत अपने बाल्यकाल में भी अयोध्या गए थे। जब श्री राम भी बाल्यकाल में थे,तो उस समय हनुमंत उनसे मिलने पहली बार अयोध्या गए थे। तब वहाँ भगवान राम से ब्रह्मज्ञान की दीक्षा प्राप्त की थी और दीक्षा प्राप्त करने के बाद कई वर्ष हनुमान जी भगवान राम के सानिध्य में अयोध्या में ही रहे थे।

फिर एक समय आया जब भगवान राम ने हनुमान जी से कहा- हनुमंत! अब समय आ गया है जब हमें कुछ समय के लिए अलग रहना होगा। मैं आने वाले समय में दानवीर शक्तियों का संहार करके इस सृष्टि में राम राज्य की स्थापना करूँगा और इस महान मिशन में तुम्हारा सहयोग लेने के लिए किष्किंधा आऊँगा। इसलिए अब हमारा पुनः मिलन वही किष्किंधा में होगा। हनुमान जी वापस अंजनी पर्वत पर लौट आए।

हनुमान जी ने सिर्फ और सिर्फ राम जी के लौटने की प्रतीक्षा नहीं की। बल्कि भावी दिव्य मिशन के लिए खुद को तैयार भी किया। ग्रंथ बताते है कि हनुमान जी पर्वत श्रृंखलाओं पर जाते और उनमें सबसे गहरी गुफाएं होती थी उनको खोजा करते थे। इसमें पूरी-पूरी रात साधना किया करते थे।

उनकी आँखें श्री राम जी के वियोग में हमेशा नम रहा करती थी। कभी-कभी तो राम का वियोग इतना बढ़ जाता था कि भगवान श्री राम फलों में, पत्तों में, हवाओं में, जल स्त्रोतों में प्रकट हो-हो कर उन्हें दर्शन देने को विवश हो जाते थे।

एक मात्र मंत्र उनके मन को ढाँढस पहुँचाता था- राम राम जय राम जय श्री राम। ऐसी साधना हनुमंत ने की- ध्यान साधना और प्रेम साधना। दोनों को साथ लेकर चलें और त्रेता का एक अमोघ राम बाण बनकर तैयार हो गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *