आज दिल्ली में 9वीं नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की बैठक हो रही है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। हालांकी, इस बैठक को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है। विपक्ष शासित राज्यों से ज्यादातर मुख्यमंत्री इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं। हालांकि, ममता बनर्जी इसमें शामिल हुई हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर विपक्षी दलों के मुख्यमंत्री इसमें शामिल क्यों नहीं हो रहे हैं?
विपक्ष शासित राज्यों के लगभग सभी मुख्यमंत्रियों का आरोप है कि इस बार के केंद्रीय बजट में उनका हक नहीं दिया गया है। यही कारण है कि वे नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया बजट भाजपा का बहिष्कार करने वाले राज्यों और लोगों के प्रति प्रतिशोध की कार्रवाई जैसा प्रतीत होता है। उन्होंने इंडिया ब्लॉक को वोट देने वालों से बदला लेने के लिए बजट तैयार किया है। केंद्र की भाजपा सरकार लगातार तमिलनाडु की उपेक्षा कर रही है।
राजद नेता मनोज झा ने कहा कि नीति आयोग क्या है? इसमें कौन सी शक्ति है? योजना आयोग से क्या समस्या है? यह नेहरू के समय से है। योजना आयोग की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आप नेता संजय सिंह ने कहा कि अगर बजट में विपक्ष शासित राज्यों के लिए कोई प्रावधान नहीं है तो नीति आयोग की बैठक का क्या मतलब है। इसीलिए विपक्ष शासित राज्यों ने बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। दिल्ली और पंजाब की अनदेखी की गई। सीएम भगवंत मान और दिल्ली के वित्त मंत्री अरविंद केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर सकते थे, लेकिन उन्होंने भी बहिष्कार कर दिया है।
हालाँकि ममता बनर्जी ने बैठक का बहिष्कार न करने का फैसला किया है, लेकिन वह इंडिया गठबंधन के मुख्यमंत्रियों से सहमत हैं कि यह एक “भेदभावपूर्ण बजट” था। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी बंगाल और अन्य राज्यों को बांटने की कोशिश कर रही है।
तेलंगाना के सीएम ए रेवंत रेड्डी ने भी नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। रेड्डी ने कहा कि बहिष्कार को विरोध के रूप में चिह्नित किया जाएगा। केंद्र ने कथित तौर पर तेलंगाना के अधिकारों को “चोट” पहुंचाई और इसके लिए धन जारी नहीं किया। उन्होंने विधानसभा में सरकार के फैसले की घोषणा की।
कर्नाटक मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। उनका दावा है कि केंद्रीय बजट में राज्य की मांगों की ‘उपेक्षा’ करने के विरोध में कर्नाटक इस बैठक का बहिष्कार करेगा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की आवश्यक जरूरतों पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में सर्वदलीय सांसदों की बैठक बुलाने के मेरे गंभीर प्रयासों के बावजूद, केंद्रीय बजट ने हमारे राज्य की मांगों की उपेक्षा की है।