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भगवान विष्णु को नारायण और हरि क्यों कहते है…

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भगवान विष्णु की पूजा हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा होती है | कोई उन्हें विष्णु के रूप में तो कोई उन्हें कृष्ण या राम के रूप में पूजते है | धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने कई अवतार समय समय पर धारण करके इस धरा को पाप से मुक्त करवाया है | वेद व्यास जी द्वारा रचित भविष्य पुराण में बताया गया है की कलयुग में भी विष्णु कल्कि अवतार फिर से लेंगे |

“विष्णु का हरि और नारायण नाम ”

पालनहार भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्त नारद मुनि उन्हें नारायण कहकर ही बुलाते हैं | इसके अलावा उन्हें अनन्त नारायण, सत्य नारायण लक्ष्मी नारायण, शिवनारायण इन सभी नामों से भी बुलाया जाता रहा है | पर मूल बात यह है कि इन सभी नामों में नारायण जुड़ा रहा है|

नारायण इसलिए कहलाते है विष्णु

पौराणिक कथा के अनुसार, जल देवता वरुण भगवान विष्णु के पैरों से पैदा हुए थे साथ ही देव नदी गंगा भी विष्णु के पैरो से निकली थी जिन्हें हम विष्णुपद देवी के नाम से भी पुकारते है |

“भगवान विष्णु का जल में वास ” जल का दूसरा नाम नीर है | भगवान विष्णु का निवास (आयन ) भी समुन्द्र (नार ) में बताया गया है | इसी कारण इनका नाम जल के आधार पर नारायण पड़ा | अत: नारायण का अर्थ जल में रहने वाले देवता।

विष्णु का हरि नाम कैसे पड़ा :-

हरि शब्द का अर्थ है जो मन को हर ले | शास्त्रों में बताया गया है कि हरि हरति पापानि अर्थात विष्णु हरते है पापो को | उनके सबसे प्रिय तिथि एकादशी है जिसका हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है | इस दिन उपवास रखने से व्यक्ति के जन्मो जन्मो के पाप नष्ट होते है और हर सुख की प्राप्ति होती है।

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