मध्य प्रदेश के जबलपुर में 30 जनवरी 2025 को आयोजित होने वाला हिंदी महाकुंभ अब देशभर में चर्चा का विषय बन चुका है। यह महाकुंभ हिंदी भाषा के समृद्धि और राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। जहां एक ओर प्रयागराज में धार्मिक महाकुंभ हो रहा है, वहीं हिंदी महाकुंभ का आयोजन हिंदी भाषा की महत्ता को समाज में स्थापित करने का एक प्रयास है।
हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का अभियान
कवि संगम त्रिपाठी के अनुसार, इस महाकुंभ का उद्देश्य हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए जारी अभियान पर विचार करना है। महाकुंभ में आने वाले रचनाकार अपनी कविताओं के माध्यम से हिंदी की शक्ति को उजागर करेंगे और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा करेंगे, ताकि हिंदी को सम्मान और स्थान मिल सके।
हिंदी महाकुंभ में महत्वपूर्ण प्रतिभागी
इस आयोजन में प्रमुख शख्सियतों में शामिल होंगे डॉ धर्म प्रकाश वाजपेई, साध्वी अरुंधती गिरि, और कई अन्य प्रसिद्ध साहित्यकार और समाजसेवी। इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश, केरल, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और अन्य राज्यों से रचनाकार अपने विचार साझा करेंगे। इन साहित्यकारों में से कुछ प्रमुख नामों में शामिल हैं- शिवनाथ सिंह रायबरेली, इंद्रेश भदौरिया, नंदलाल मणि त्रिपाठी, डॉ शिवशरण श्रीवास्तव, सरस्वती मल्लिक, और कई अन्य प्रसिद्ध कवि और लेखक।
सफलता की ओर कदम बढ़ाते आयोजक
हिंदी महाकुंभ को सफल बनाने के लिए कई प्रमुख कार्यकर्ता सक्रिय हैं, जिनमें मदन श्रीवास्तव, जी. एल. जैन, अरविंद तिवारी, और अन्य शामिल हैं। इस आयोजन के संयोजक सशक्त हस्ताक्षर संस्था के संस्थापक गणेश श्रीवास्तव ‘प्यासा’ ने जबलपुर के कवियों, साहित्यकारों, समाजसेवियों, और पत्रकारों से इस महाकुंभ में भाग लेने की अपील की है।
आगे की दिशा
हिंदी महाकुंभ न केवल हिंदी के प्रति जागरूकता फैलाने का एक माध्यम होगा, बल्कि यह हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल भी साबित होगा।
इस आयोजन से जुड़ी अन्य जानकारी और अपडेट के लिए, हिंदी महाकुंभ का आयोजन पूरे देशभर में एक नई ऊर्जा का संचार करेगा, जिससे हिंदी भाषा को एक नए मुकाम पर ले जाया जाएगा।